नई दिल्ली (नेहा): उत्तराखंड के अल्मोड़ा और हरिद्वार जिलों में पिछले दो हफ्तों से एक ‘रहस्यमयी बुखार’ ने लोगों को डरा दिया है। अल्मोड़ा के धौलादेवी ब्लॉक में सात लोगों की जान चली गई है, वहीं हरिद्वार के रुड़की इलाके में तीन लोगों की मौत की खबर है। स्वास्थ्य विभाग के सचिव आर राजेश कुमार ने बताया कि धौलादेवी में खास निगरानी रखी जा रही है और मौतों की वैज्ञानिक जांच भी हो रही है। मरीजों को तेज बुखार के साथ-साथ प्लेटलेट्स कम होने की शिकायत भी थी। हालांकि, डॉक्टरों ने कहा है कि डेंगू की अटकलों पर नतीजे आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। अल्मोड़ा के डॉक्टरों ने जांच के लिए सैंपल भेज दिए हैं।
धौलादेवी ब्लॉक में पिछले 15 दिनों में सात मौतें हुई हैं। स्थानीय लोग किसी वायरल बीमारी के फैलने से घबराए हुए हैं। अधिकारी कारण जानने के लिए सैंपल ले रहे हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नवीन चंद्र तिवारी ने कहा, “सात मौतों में से तीन वायरल संक्रमण से जुड़ी लग रही हैं। बाकी मौतें उम्र से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण हुई हैं।” उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीमें प्रभावित इलाकों में कैंप कर रही हैं, सैंपल ले रही हैं और इलाज भी कर रही हैं। सैंपल अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज भेजे गए हैं और रिपोर्ट आने के बाद ही संक्रमण का असली कारण पता चलेगा।
स्थानीय लोगों का कहना है कि मौतों की वजह जानने के लिए कोई पोस्टमार्टम नहीं हुआ। धौलादेवी के रहने वाले दिनेश भट्ट ने कहा, “सात लोगों की मौत हो गई, फिर भी कोई पोस्टमार्टम नहीं हुआ। इसके बिना हम असली कारण कैसे जान सकते हैं?” हालांकि, स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि “कोई रहस्यमयी बुखार या डेंगू का प्रकोप नहीं है।” एक अधिकारी ने कहा, “यह एक मौसमी वायरल बुखार लग रहा है। सर्दियों की शुरुआत के साथ, मामलों की संख्या में कमी आने की उम्मीद है।”
रुड़की में भी तीन लोगों की मौत की खबर है, जहां स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू कर दी है। मरीजों में तेज बुखार और प्लेटलेट्स गिरने के लक्षण देखे गए थे। स्थानीय लोगों में भी चिंता का माहौल है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से घबराने की बजाय सावधानी बरतने की अपील की है। डॉक्टर सलाह दे रहे हैं कि बुखार होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और खुद से दवा न लें। पानी उबालकर पिएं और मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। यह मौसमी बुखार हो सकता है, लेकिन जांच के नतीजे आने तक कुछ भी पक्के तौर पर कहना मुश्किल है। स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित इलाकों में जागरूकता अभियान भी चलाया है।