नई दिल्ली (नेहा): भारतीय शेयर बाजार का हाल इन दिनों बेहाल है। सोमवार, 28 जुलाई को शेयर बाजार के लगातार तीसरे सेशन में गिरावट दर्ज की गई। आज मंगलवार को भी शेयर बाजार की कमजोर शुरुआत हुई है। सेंसेक्स और निफ्ट दोनों गिरावट के साथ खुले हैं। इसकी एक बड़ी वजह अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड डील में हो रही देरी है। जैसे-जैसे 1 अगस्त टैरिफ की डेडलाइन की तारीख नजदीक आ रही है विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से अपना पैसा निकाल रहे हैं। इसके अलावा, कमजोर तिमाही के नतीजे भी इस गिरावट के पीछे जिम्मेदार है।
सोमवार को सेंसेक्स 572 अंक या 0.70 परसेंट की गिरावट के साथ 80,891.02 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स 156 अंक या 0.63 परसेंट फिसलकर 24,680.90 पर बंद हुआ। सभी सेक्टर में भारी बिकवाली के चलते बीएसई मिडकैप इंडेक्स में भी 0.73 परसेंट और स्मॉलकैप इंडेक्स में 1.31 परसेंट की गिरावट दर्ज की गई। बीते महज तीन सत्रों में सेंसेक्स 1,836 अंक या 2.2 परसेंट टूट चुका है, जबकि निफ्टी 50 में 2.1 परसेंट की गिरावट आई है।
महज तीन दिनों में निवेशकों को 13 लाख करोड़ का नुकसान हुआ क्योंकि बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप बुधवार, 23 जुलाई को 460.35 लाख करोड़ से घटकर सोमवार, 28 जुलाई को लगभग 448 लाख करोड़ रह गया। अकेले सोमवार को बाजार से लगभग 4 लाख करोड़ का सफाया हो गया और मार्केट कैप 451.7 लाख करोड़ से नीचे गिर गया। शेयर बाजार में आई गिरावट की वजह:-
1. भारत और अमेरिका के बीच अभी तक ट्रेड डील फाइनल नहीं हो पाया है। 1 अगस्त से पहले किसी समझौते के होने का भी संकेत नहीं मिल रहा है। जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के चीफ इंवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार का कहना है, “जापान और यूरोपीय यूनियन के साथ व्यापार समझौते, जिन्हें शुरू में मुश्किल माना जा रहा था, तो हो गए हैं, लेकिन बहुप्रतीक्षित भारत-अमेरिका व्यापार समझौता अभी भी अधर में लटका हुआ है। इसने बाजार की धारणा को प्रभावित किया है।
2. भारतीय शेयर बाजार के बढ़ते वैल्यूएशन के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPIs) लगातार बिकवाली कर रहे हैं। FPIs ने जुलाई में अब तक (25 तारीख तक) कैश सेगमेंट में 30,509 करोड़ मूल्य के भारतीय शेयर बेचे हैं। पिछले लगातार पांच दिनों में, एफपीआई ने कैश सेगमेंट में 13,550 करोड़ से अधिक मूल्य के भारतीय शेयर बेच दिए हैं। विजयकुमार ने कहा, “पिछले हफ्ते नकद बाजार में एफआईआई द्वारा 13,552 करोड़ की बिकवाली ने बाजार की कमजोरी को और बढ़ा दिया है।”
2. भारतीय कंपनियों के कमजोर तिमाही के नतीजों ने भी निवेशकों की चिंता को बढ़ा दिया है। “पहली तिमाही के नतीजे, जो अभी तक किसी बड़े सकारात्मक बदलाव का संकेत नहीं दे रहे हैं, चिंता का विषय है. बाजार के इस कमजोर दौर में निवेशकों को सतर्क और किसी खास शेयर पर अधिक फोकस करना होगा। कंपनी के कमजोर तिमाही के नतीजों के चलते शेयर बाजार के वैल्यूएशन में अभी और गिरावट आने की संभावना है।
3. कमजोर कॉर्पोरेट आय और टैरिफ की चिंताओं के बीच अकेले विकास की कहानी इनसे होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं कर सकती है। इस बीच, एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) ने अमेरिकी टैरिफ के संभावित प्रभाव और संबंधित नीतिगत उपायों को लेकर अनिश्चितता को देखते हुए वित्त वर्ष 26 के लिए भारत के जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को अप्रैल के 6.7 परसेंट के अनुमान से घटाकर 6.5 परसेंट कर दिया है। इसी तरह से, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (Ind-Ra) ने भी घरेलू और वैश्विक दोनों स्थितियों में बदलाव का हवाला देते हुए वित्त वर्ष 26 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर के अपने अनुमान को दिसंबर के 6.6 परसेंट से घटाकर 6.3 परसेंट कर दिया है।
4. शेयर बाजार में इस गिरावट के लिए टेक्नीकल फैक्टर भी जिम्मेदार है। पिछले हफ्ते निफ्टी वीकली चार्ट पर इंडेक्स ने एक बड़ी बुलिश कैंडल बनाई है। एक्सिस सिक्योरिटीज के एक्सपर्ट्स का मानना है कि 20-दिवसीय SMA में इंडेक्स को कठोर प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है। उनका मानना है कि 25,000 से नीचे लगातार बढ़ने से गिरावट 24,500-24,300 तक बढ़ सकती है, जबकि 25,000 से ऊपर एक पॉजिटिव ब्रेकआउट से चीजें संभल सकती हैं।