तेहरान (नेहा): ईरान में एक बार फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ गुस्सा भड़क उठा है। शुक्रवार, 1 अगस्त को ईरान के प्रमुख धार्मिक शिक्षा केंद्र “क़ुम सेमिनरी” की ओर से एक बड़ा बयान जारी किया गया जिसमें 2000 से अधिक मौलवियों ने ट्रंप को जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या का ज़िम्मेदार ठहराते हुए उनकी हत्या को जायज बताया।
इन धार्मिक नेताओं का कहना है कि अब इंतज़ार का समय समाप्त हो गया है, और न्याय की मांग करते हुए उन्होंने ट्रंप के खिलाफ खुली चेतावनी दी है। बयान में कहा गया, “अब सब्र की सीमा समाप्त हो गई है। ट्रंप का खून और उसकी संपत्ति अब हलाल है. सुलेमानी की शहादत का बदला लेना हर मुसलमान की जिम्मेदारी है।”
जनरल कासिम सुलेमानी ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स की कुद्स फोर्स के प्रमुख थे और देश की विदेश नीति में एक बेहद प्रभावशाली भूमिका निभाते थे। उन्हें पश्चिम एशिया में ईरानी रणनीति का शिल्पकार माना जाता था।
3 जनवरी 2020 को अमेरिकी ड्रोन हमले में बगदाद में उनकी हत्या कर दी गई थी। उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले को मंजूरी दी थी, और इसे अमेरिका ने एक “रक्षात्मक कार्रवाई” करार दिया था। हालांकि, ईरान और उसके समर्थकों ने इसे एक खुला युद्ध अपराध और अत्याचार बताया।
क़ुम सेमिनरी द्वारा जारी बयान पर न सिर्फ छोटे-छोटे इस्लामिक स्कॉलर बल्कि देश के बड़े-बड़े धर्मगुरुओं ने भी दस्तखत किए हैं। इनमें शुक्रवार की नमाज़ के प्रमुख नेता अहमद खतामी, ईरान की हित परिषद के सदस्य मोहेसन अराकी और गार्जियन काउंसिल के सदस्य मेहदी शबजेंदेहदार जैसे प्रभावशाली मौलवी शामिल हैं।
बयान में कहा गया, “यह कोई साधारण अपराध नहीं था। यह समूचे इस्लामिक नेतृत्व पर हमला था। ट्रंप जैसे अपराधियों को दुनिया की अदालतों से न्याय नहीं मिल सकता। इसके लिए इंसाफ की अलग ही भाषा में बात करनी होगी।”
इस पूरे घटनाक्रम में हालिया इज़राइली बयान ने आग में घी डालने का काम किया। इज़राइल के रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज़ ने एक इंटरव्यू में कहा था कि सुलेमानी की हत्या में अमेरिका की मंजूरी की ज़रूरत नहीं थी और इस तरह के ऑपरेशन “राष्ट्रीय सुरक्षा” के तहत लिए जा सकते हैं।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ईरान के वरिष्ठ धर्मगुरु अयातुल्ला नासिर मकारेम शिराज़ी ने कहा, “जो भी इस्लामिक नेतृत्व को धमकाता है या उन पर हमला करता है, वह अल्लाह का दुश्मन है।” उनका बयान मौलवियों के साझा स्टैंड को और अधिक सख्त बनाता है।
डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ यह पहली बार नहीं है जब ईरान ने कड़ा रुख अपनाया हो। 2023 में भी ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड एयरोस्पेस फोर्स के तत्कालीन प्रमुख अमीराली हाजीज़ादेह ने कहा था कि वे ट्रंप और उस अभियान में शामिल सभी सैन्य अधिकारियों से बदला लेंगे। उन्होंने यहां तक कह दिया था, “ईश्वर की मर्ज़ी से हम ट्रंप को मारेंगे। हमें उन सभी लोगों से हिसाब बराबर करना है जिन्होंने हमारे जनरल की हत्या की थी।”
जनरल सुलेमानी की मौत के बाद ईरान ने तुरंत प्रतिक्रिया दी थी। 7 और 8 जनवरी 2020 को ईरान ने इराक में अमेरिकी सैन्य अड्डों पर 22 मिसाइलें दागीं थीं। ईरान ने दावा किया था कि इस हमले में अमेरिका के 80 सैनिक मारे गए, हालांकि अमेरिका ने इससे इनकार किया और कहा कि सैनिकों को हल्की-फुल्की चोटें आईं।
इस हमले के बाद दुनिया में तनाव का स्तर अचानक बढ़ गया था और कई अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने इसे तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ता कदम बताया था।