नई दिल्ली (नेहा): हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा से करोड़ों की सेब बागवानी पर खतरा मंडरा गया है। शिमला और कुल्लू जिले की सैकड़ों सड़कें यातायात के लिए बाधित हैं। बागवानों की फसल सेब बगीचों और तोड़ी हुई ग्रेडिंग केंद्रों में फंस गई है। बागवानों ने सेब की पेटियां पैक कर रखीं है, लेकिन यातायात ठप होने से फसल को मंडी पहुंचाना मुश्किल हो गया है। उधर, मंडियों में बिका सेब भी ट्रकों में है। बाहरी राज्यों को इसकी सप्लाई नाममात्र ही हो रही हे। शिमला जिले में करीब सवा तीन लाख सेब की पेटियां फंसी हुईं हैं। हर वर्ष प्रदेश में सेब का कारोबार करीब साढ़े चार हजार करोड़ रुपये तक पहुंचता है। इस वर्ष भारी बारिश के कारण अधिकांश सड़कें बंद हैं।
ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब सीजन जोरों पर है। रामपुर उपमंडल में ननखड़ी और 12/20 क्षेत्र में सेब की पेटियां सड़कें बाधित होने से फंस गई हैं। रामपुर के 12/20 क्षेत्र और ननखड़ी तहसील के खोलीघाट, गाहन, अड्डू, नागाधार, खमाडी, कंदरेड़ी, कुंगलबाल्टी और सुरड़बंगला क्षेत्र में सेब की करीब एक लाख पेटियां सड़कें बाधित होने के कारण फंस गई हैं। यही हाल रोहड़ू, चौपाल, जुब्बल और कोटखाई का है। यहां सेब की करीब पौने दो लाख पेटियां सड़कें बाधित होने से फंसी हुई हैं। निरमंड उपमंडल की चायल पंचायत का संपर्क चार सप्ताह से कटा हुआ है। यहां सेब की करीब 50 हजार पेटियां फंस गई हैं।
यदि समय रहते सड़कें बहाल नहीं होती हैं, तो बागवानों की मेहनत पर पानी फिर जाएगा। कुल्लू में सेब बगीचों में अभी करीब 40 से 45 लाख सेब पेटियां तुड़ान करने के लिए बाकी हैं। कुल्लू-मंडी के बीच हाईवे बंद होने से सेब की छोटी-बड़ी करीब 300 गाड़ियां फंसी हुई हैं। इनमें 70,000 से अधिक क्रेट फंसे हैं। सब्जी मंडी में व्यापारियों की ओर से खरीदा हुआ सेब भी मंडियों में अभी व्यापारी नहीं ले जा सके हैं। ऐसे में करीब एक लाख क्रेट पर संकट के बादल मंडरा गए हैं।
किन्नौर जिले में सेब सीजन हाल ही में शुरू हुआ है। जिले की टापरी फल मंडी में आठ से दस हजार सेब की पेटियां फंसी हुई हैं। जबकि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अभी सेब सीजन शुरू होने में समय लगेगा। नेशनल हाईवे-पांच बाधित होने से जिले से सेब मंडियों तक नहीं भेजा जा पा रहा। हालांकि, उद्यान विभाग ने बागवानों को अभी फसलों के तुड़ान न करने की सलाह दी है।
बागवान दयाल नलवा, टेकचंद राजटा, राजेंश खूंद, जगदीश मेहता, विक्की ठाकुर, सतीश मेहता, सुशील मेहता, गोपाल ठाकुर, संतोष कुमार, शेर सिंह, जगदीश कुमार, लायक राम ने प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन और लोक निर्माण विभाग से जल्द सड़कों को बहाल कर बागवानों को राहत देने की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द सड़कें बहाल नहीं हुईं, तो बागवानों को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ेगा।
प्रदेश के लोगों की आर्थिकी अधिकतर खेतीबाड़ी और बागवानी पर निर्भर है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था में बागवानी का अहम योगदान है और प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 20 प्रतिशत से ज्यादा योगदान बागवानी क्षेत्र का है। इस वर्ष प्रदेश में भारी बारिश से बागवानों के सामने आर्थिक संकट की स्थिति पैदा हो गई है।