नई दिल्ली (नेहा): राजधानी में डीटीसी की हालत ऐसी है कि हर घंटे में पांच बसें सड़क पर खराब हो रही हैं। हर दिन 112 से अधिक बसें सड़क पर खराब हुई हैं। 2023 और 2024 के बीच कुल 81,869 बसों के ब्रेकडाउन के मामले दर्ज हुए। यह संख्या राजधानी में सार्वजनिक परिवहन की तकनीकी और प्रबंधन स्थिति पर गंभीर सवाल उठाती है। साल 2025 के शुरुआती सात महीनों में ही 21,123 बसें खराब हुईं। उत्तर क्षेत्र के डिपो ने सबसे अधिक शिकायतें दर्ज कराईं।
इस क्षेत्र में 8,598 बसें जनवरी से जुलाई तक खराब हुईं। रोहिणी डिपो-4 में इस साल 1,008 बसों के खराब होने के मामले सामने आए, जो 2023 में 1,824 और 2024 में 1,249 रहे थे। वहीं रोहिणी सेक्टर-37 डिपो में इस साल जनवरी से जुलाई तक 3,014 बसें खराब हुईं, जबकि 2023 में यह संख्या 686 और 2024 में 1,007 थी। नरेला डिपो में 2025 में 3,260 बसें खराब हुईं, जबकि पिछले दो वर्षों में क्रमशः 3,140 और 2,970 मामले दर्ज हुए।
दक्षिणी क्षेत्र में 8,510 बस ब्रेकडाउन हुए। ओखला डिपो में 2,308 बसें इस साल जनवरी-जुलाई के बीच सड़क पर रुक गईं। यह डिपो पिछले साल ही शुरू हुआ था और पहले ही वर्ष में 3,514 बसों के खराब होने के मामले सामने आए थे। सरोजिनी नगर डिपो में 2025 में 2,139 बसें, 2024 में 3,465 और 2023 में 3,600 बसें खराब हुई। वहीं पूर्वी क्षेत्र के राजघाट डिपो-2 में इस साल अब तक 1,049 शिकायतें मिली हैं। यह संख्या 2023 में 222 और 2024 में 480 थी।
हालांकि राजघाट डिपो-1 में कमी देखी गई, यहां इस साल 642 बसें खराब हुईं, जबकि पिछले वर्षों में क्रमशः 1,700 और 1,119 मामले सामने आए थे। पश्चिमी क्षेत्र दो डिपो मूंधेला कलां इस साल 467 बसें खराब हुईं, जबकि 2023 में 391 और 2024 में 433। वहीं द्वारका सेक्टर-8 डिपो में 2025 में 1,128 बसें खराब हुईं, जबकि पिछले दो वर्षों में यह आंकड़ा 2,261 और 2,212 था।
डीटीसी के अधिकारियों ने बताया कि बसों के ब्रेकडाउन की घटनाओं को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। 15 मिनट में खराब बस को हटाने के लिए एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार किया गया है। इसके तहत 30 स्थानों पर क्विक रिस्पॉन्स टीम तैनात की गई हैं और 24 घंटे का कंट्रोल रूम बनाया गया है ताकि ट्रैफिक बाधा कम हो। सीएनजी बसों में खराबी की वजहों की जांच और समाधान के लिए प्रीवेंटीव मेंटेनेंस प्रोग्राम मजबूत किया गया है।