चंडीगढ़ (राघव): किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर साफ कर दिया है कि 4 मई को चंडीगढ़ में होने वाली बैठक में वह पंजाब के मंत्रियों के साथ शामिल नहीं होंगे। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा है कि बैठक में पंजाब के मंत्री शामिल होंगे तो वह इसका बायकाट करेंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री को लिखे पत्र में लिखा है कि दोनों जत्थेबंदियों का मानना है कि खेती व किसानी के मुद्दों का हल केवल बातचीत के जरिये ही संभव है। बातचीत करने के लिए किसान हमेशा तैयार हैं। किसानों की केंद्र के साथ पिछली बैठक 19 मार्च को चंडीगढ़ में अच्छे माहौल में हुई थी। लेकिन बैठक के बाद बार्डरों को वापस लौटते किसानों को पंजाब पुलिस की ओर से गिरफ्तार कर लिया गया।
इसके बाद शंभू व खन्नौरी बार्डरों पर एक्शन करते हुए मोर्चों को खत्म कर दिया गया। पत्र में आगे लिखा है कि ऐसा करके पंजाब सरकार ने किसानों के स्वाभिमान पर चोट करके उन्हें अपमानित किया है। जिससे देश भर के किसानों में रोष है। इसलिए देश भर के किसानों की भावना का सम्मान करते हुए दोनों संगठनों की केंद्र सरकार से अपील है कि 4 मई को चंडीगढ़ में होने वाली बैठक में पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल न किया जाए। बावजूद इसके पंजाब सरकार के मंत्री इस बैठक में शामिल होते हैं, तो किसान नेता इसमें शामिल नहीं होंगे। किसानों की ओर से बैठक का पूरी तरह से बायकाट किया जाएगा। किसान संगठनों ने इस बारे में केंद्र को जल्द सूचित करने की अपील की है।
दोनों फोरम ने निर्णय लिया है कि दो मई को पूरे पंजाब में डीसी कार्यालयों पर मांग पत्र सौंपे जाएंगे। प्रमुख मांगों में गेहूं की फसल को आग की घटनाओं व ओलावृष्टि से हुए नुकसान के मद्देनज़र किसानों को प्रति एकड़ 50 हजार रुपये मुआवजा दिया जाए। इसके साथ बॉर्डरों पर आंदोलन हटाने के दौरान किसान नेता बलवंत सिंह बहरामके पर किए गए अत्याचार व अन्य किसानों पर हिंसा के लिए ज़िम्मेदार पुलिस कर्मचारियों को सस्पेंड किया जाए। चोरी हुए किसानों के सामान का मुआवजा पंजाब सरकार दे और मंडियों में खरीद के दौरान किसानों से फॉर्म के अनुसार ही खर्च लिया जाए।