भुवनेश्वर (नेहा): पुरी जगन्नाथ मंदिर के वरिष्ठ सेवक रामकृष्ण दासमहापात्र को निलंबित कर दिया गया है। वह अब 30 दिनों तक भगवान की कोई सेवा नहीं कर सकेंगे और न ही मंदिर में प्रवेश कर पाएंगे। मंदिर के मुख्य प्रशासक ने इस आधार पर कार्रवाई की है कि दासमहापात्र ने मंदिर की गरिमा और मर्यादा को ठेस पहुंचाई है। रामकृष्ण दासमहापात्र को निलंबन आदेश के माध्यम से यह भी स्पष्ट किया गया है कि निलंबन की अवधि के दौरान, वह दइतापति के किसी सेवक या किसी अन्य नियोग या किसी अन्य व्यक्ति को लालच देकर या धमकी देकर मंदिर की किसी भी सेवा पूजा या अनुष्ठान में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। ऐसा करने पर निलंबन की अवधि बढ़ाई जाएगी और कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस अवधि के दौरान मंदिर के कमांडर और वरिष्ठ सुपरवाइजर नियमित रूप से रामकृष्ण दासमहापात्र के व्यवहार पर मंदिर के मुख्य प्रशासक को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
आदेश में कहा गया है कि रामकृष्ण दास महापात्र के निलंबन आदेश के बाद अगर उनके व्यवहार में अनुशासनहीनता दिखाई देती है तो फिर मंदिर प्रशासन की ओर से उनके प्राप्त पुरस्कार आदि को रद या स्थगित कर दिया जाएगा। कार्रवाई करने से पहले श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने रामकृष्ण दासमहापात्र को दो नोटिस भेजे थे। पहले चार मई को कैफियत नोटिस के जरिए सात दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा गया था। इसी नोटिस में रामकृष्ण दासमहापात्र ने किस परिस्थिति में पुरी जगन्नाथ मंदिर की परंपरा विरोधी कार्य कर नवकलेवर में संग्रहित शेष दारू से दीघा मंदिर में जगन्नाथ की मूर्ति स्थापित किया गया जैसा बयान देकर पूरी दुनिया के अनगिनत श्री जगन्नाथ प्रेमी, भक्त एवं श्रद्धालुओं की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाई है।
इस तरह की दायित्वहीन टिप्पणी देकर क्यों अनुशासनहीन व्यवहार कर जगन्नाथ मंदिर की गरिमा एवं मर्यादा को भंग किया? उस संदर्भ में जवाब देने को कहा गया था। इसके बाद नौ मई को एक अन्य कैफियत नोटिस में उनसे पूछा गया कि मंदिर के सेवक के तौर पर जगन्नाथ धाम दीघा नामक कार्यक्रम में क्यों शामिल हुए थे? उत्तर रखने को कहा गया था। इस अवसर पर पुरी जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक ने कहा कि मंदिर में अनुशासन लाने के लिए कार्रवाई की गई है। गर्व और अहंकार से हटकर, मंदिर की परंपरा, गरिमा तथा मर्यादा को बनाए रखना हम सबका कर्तव्य है और यह भगवान जगन्नाथ के प्रति हमारे समर्पण का प्रदर्शन होना चाहिए। मंदिर के मुख्य प्रशासक डॉ. अरविंद कुमार पाढ़ी ने स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले दिनों में किसी भी तरह की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।