वाशिंगटन (राघव): आज के समय डोनाल्ड ट्रंप का सबसे बड़ा दर्द ब्रिक्स (BRICS) है। डोनाल्ड ट्रंप ब्रिक्स से बौखलाए हुए हैं और अपनी बौखलाहट छिपाने के लिए वह ब्रिक्स का मजाक उड़ा रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप की जुबान एक बार फिर आग उगल रही है। BRICS यानी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका के साथ अब 11 देशों को उन्होंने निशाना बनाया। शुक्रवार को एक बयान में अमेरिकी राष्ट्रपति ने BRICS को ‘छोटा ग्रुप’ करार देते हुए कहा कि यह ‘तेजी से खत्म हो रहा हैट और चेतावनी दी कि जो भी देश BRICS के साथ खड़ा होगा, उस पर अमेरिका 10% आयात शुल्क (टैरिफ) लगाएगा। ट्रंप का आरोप है कि ब्रिक्स एंटी अमेरिका नीति चला रहा है।
18 जुलाई को ‘GENIUS Act’ पर हस्ताक्षर करते समय ट्रंप ने कहा, ‘BRICS नाम का एक छोटा ग्रुप है जो अब तेजी से खत्म हो रहा है। उन्होंने डॉलर की बादशाहत को चुनौती देने की कोशिश की, लेकिन मैंने साफ कर दिया कि BRICS से जुड़ने वाले किसी भी देश पर 10% टैरिफ लगेगा। इसके अगले ही दिन उनकी मीटिंग में कोई नहीं आया।’ ट्रंप का दावा है कि उनकी धमकी के बाद BRICS की मीटिंग में भागीदारी न के बराबर रही। यही नहीं, उन्होंने अमेरिका की आर्थिक ताकत और डॉलर के वैश्विक प्रभुत्व को ‘दुनिया की जीत’ बताया। उन्होंने कहा, कि अगर हम डॉलर की रिज़र्व करंसी का दर्जा खो देंगे तो यह किसी विश्व युद्ध में हारने जैसा होगा।
BRICS समूह अब केवल एक प्रतीकात्मक गठबंधन नहीं रह गया है। 2024-25 में इसके साथ मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और UAE भी जुड़ गए हैं, जिससे इसकी सदस्य संख्या 10 हो गई है। अमेरिका इसे हमेशा एक पश्चिम विरोधी गुट के तौर पर देखता रहा है। कई बार ब्रिक्स मुद्रा की बात होती रही है, जिसे अमेरिकाडॉलर के खिलाफ खतरे के तौर पर देखता है। यह वैश्विक सत्ता संतुलन में बदलाव और IMF जैसी संस्थाओं में सुधार की मांग भी कर रहा है। ट्रंप का यह तीखा रुख उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति को दोहराता है, लेकिन यह भी दर्शाता है कि BRICS अब अमेरिका के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है। खासकर जब भारत और यूएई जैसे अमेरिकी सहयोगी देश इस समूह का हिस्सा बन चुके हैं।