नई दिल्ली (राघव): केरल के पूर्व मुख्यमंत्री अच्युतानंदन का निधन हो गया है। उन्होंने 101 साल की उम्र में प्राइवेट अस्पताल में ली अंतिम सांस ली। वे केरल के एक बहुत बड़े और प्रभावशाली कम्युनिस्ट नेता थे। उनका पूरा नाम वेलिक्ककथु शंकरन अच्युतानंदन था। वीएस ने अपना राजनीतिक सफर 1939 में ट्रेड यूनियन के माध्यम से शुरू किया था। इसके बाद वे 1940 में कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गए। उन्होंने 2006 से 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। मुख्यमंत्री बनने से पहले भ, वे 15 वर्षों तक केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे थे, जो उनकी राजनीतिक ताकत को दर्शाता है।
वी.एस. अच्युतानंदन 1985 से 2009 तक सीपीएम (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो के सदस्य भी रहे, जो पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था होती है. बाद में उन्हें पार्टी की सेंट्रल कमेटी में भेज दिया गया। अपने शुरुआती दिनों से ही वीएस ने मजदूरों के हकों के लिए बहुत काम किया। उन्होंने कॉयर फैक्ट्री के मजदूरों, ताड़ी निकालने वालों और खेती करने वाले मजदूरों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने त्रावणकोर में करशका थोजिलाली यूनियन की स्थापना की, जो बाद में केरल स्टेट करशका थोजिलाली यूनियन बनी। यह उनकी जन-उन्मुख राजनीति का प्रमाण था।
वी.एस. अच्युतानंदन ने कई महत्वपूर्ण आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया। 1946 में हुए पुन्नपरा-वायलार विद्रोह में वे एक मुख्य नेता थे। इन आंदोलनों के कारण उन्हें पांच साल से भी ज्यादा समय तक जेल में रहना पड़ा और लगभग साढ़े चार साल तक उन्हें भूमिगत (अंडरग्राउंड) भी रहना पड़ा। यह उनके समर्पण और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।