नई दिल्ली (नेहा): डिपॉजिटरीज के ताजा आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2025 तक भारत में डीमैट खातों की कुल संख्या पहली बार 20 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है। दिलचस्प बात यह है कि भारत में डीमैट खातों की कुल संख्या (जो शेयरों और सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रखने के लिए जरूरी है) ही अब दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों की तुलना में सातवें नंबर पर है। यानी अगर सबसे अधिक आबादी वाले देशों की बात करें तो उनके मुकाबले भारत में डीमैट खातों की संख्या ही 7वें नंबर पर आएगी।
आसान शब्दों में कहें तो, कुल डीमैट खातों की संख्या बांग्लादेश, रूस, इथियोपिया, मेक्सिको, जापान, इजिप्ट, फिलीपींस और कांगो जैसे देशों की जनसंख्या से भी ज्यादा है। यह आँकड़ा ब्राज़ील की लगभग 21.3 करोड़ की जनसंख्या के बराबर है।
जुलाई में कुल 29.8 लाख नए डीमैट खाते खोले गए। जबकि पिछले महीने शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला था। जुलाई में डीमैट खातों की कुल संख्या 20.21 करोड़ हो गई। खास बात ये है कि जुलाई में डीमैट खातों में मंथली ग्रोथ पिछले सात महीनों में सबसे ज्यादा रही। ये दिखाता है कि भारतीयों की इक्विटी निवेश में रुचि बढ़ रही है।
जानकारों का मानना है कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद जुलाई में डीमैट खातों में हुई इस बढ़ोतरी के पीछे बड़ा कारण नए IPO लॉन्च हैं। सेकंडरी मार्केट के ओवरवैल्यूड हो जाने के बावजूद मई की शुरुआत से कई आईपीओ काफी उचित वैल्यूएशन पर लिस्ट हुए हैं। माना जा रहा है कि इस ट्रेंड ने बड़ी संख्या में निवेशकों को आकर्षित किया हो सकता है।
2025 की शुरुआत से भारतीय बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। फिर भी इस साल अब तक बेंचमार्क सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में 3 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जबकि बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में क्रमशः 3 प्रतिशत और 6 प्रतिशत की गिरावट आई है।