नई दिल्ली (नेहा): बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट रिवीजन यानी SIR को लेकर सूबे में सियासी घमासान मचा हुआ है। इस सियासी खींचतान के बीच सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर सुनवाई जारी है। इस मामले में मंगलवार को भी सुनवाई हुई थी, दोनों ही पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें दी। ऐसा माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट SIR को लेकर आज कोई बड़ा फैसला सुना सकता है। आपको बता दें कि पहले दिन की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम टिप्पणियां भी की। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग सही कह रहा है कि आधार को नागरिकता के निर्णायक प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। ज्यादा से ज्यादा यह किसी की पहचान का प्रमाण हो सकता है. आधार ऐक्ट की धारा 9 ऐसा कहती है।
वहीं, चुनाव आयोग ने सुनवाई के दौरान कोर्ट से कहा कि नियमों के अनुसार चुनाव आयोग को शामिल न किए गए लोगों की अलग सूची तैयार करने की आवश्यकता नहीं है। नियमों के अनुसार चुनाव आयोग को किसी को शामिल न किए जाने का कारण प्रकाशित करने की आवश्यकता नहीं है। ऐसी किसी भी सूची को अधिकार के रूप में नहीं मांगा जा सकता है। जिन लोगों को शामिल नहीं किया गया है, वे सभी इसका उपायों का सहारा ले सकते हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि उसके पास ऐसा करने का अधिकार है। उसके पास यह निर्धारित करने का संवैधानिक कर्तव्य और अधिकार है कि मतदाताओं द्वारा नागरिकता की आवश्यकता पूरी की गई है या नहीं, लेकिन मतदाता के रूप में अयोग्य ठहराए जाने के कारण किसी व्यक्ति की नागरिकता समाप्त नहीं की जाएगी।