नई दिल्ली (राघव): धुआं उड़ाते डीजल इंजन और बिजली के तारों का जाल… जल्द ही यह सब पुरानी बातें होने वाली हैं. भारतीय रेलवे ने भविष्य की ओर एक ऐसी छलांग लगाई है, जिसका सपना हर भारतीय देख रहा था। अब वह दिन दूर नहीं, जब भारत की पटरियों पर पानी से बनने वाले ईंधन, यानी हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें दौड़ती नजर आएंगी। इस बड़े सपने को हकीकत के और करीब लाते हुए, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक बहुत बड़ी खुशखबरी दी है।
रेल मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर इसे लेकर एक वीडियो शेयर किया है। वीडियो के मुताबिक इस ट्रेन का नाम NaMo Green Rail हो सकता है। हालांकि, इसे लेकर कोई ऑफिशियल अनाउंसमेंट नहीं की गई है।
यह ट्रेन हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को मिलाकर बिजली पैदा करती है। इस प्रक्रिया में धुएं की जगह सिर्फ पानी निकलता है। इसका सबसे बड़ा फायदा है कि यह ‘जीरो एमिशन’ यानी शून्य प्रदूषण वाली ट्रेन है। इससे कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी कोई भी हानिकारक गैस नहीं निकलती, जो आज डीजल इंजनों से निकलती है। रेल मंत्री ने गर्व के साथ बताया कि 1,200 हॉर्स पावर की यह ट्रेन और इसकी तकनीक पूरी तरह से भारत में ही विकसित की गई है। यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ का एक शानदार उदाहरण है।
अश्विनी वैष्णव ने इसके पहले जुलाई में बताया था कि अपनी पोस्ट में लिखा, “पहले हाइड्रोजन चालित कोच (ड्राइविंग पावर कार) का ICF, चेन्नई में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. भारत 1,200 HP हाइड्रोजन ट्रेन विकसित कर रहा है। इससे भारत हाइड्रोजन चालित ट्रेन प्रौद्योगिकी में अग्रणी देशों में शामिल हो जाएगा।”
रेल मंत्री द्वारा शेयर किए गए वीडियो में इस ड्राइविंग पावर कार की पहली झलक देखने को मिलती है। कोच का बाहरी और भीतरी डिजाइन बेहद आधुनिक और आकर्षक है, जो वंदे भारत की याद दिलाता है। केबिन पूरी तरह से डिजिटल और कंप्यूटराइज्ड है, जिसमें बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगी हैं। यह किसी हवाई जहाज के कॉकपिट जैसा दिखता है। हालांकि वीडियो में सिर्फ ड्राइविंग कोच दिखाया गया है, लेकिन यह तय है कि जब यह पूरी ट्रेन बनेगी तो इसके यात्री कोच भी वंदे भारत की तरह ही आरामदायक और सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस होंगे।