पटना (राघव): बिहार में अब घरों से निकलने वाले कचरे से बिजली बनाई जाएगी। पटना में इसके लिए वेस्ट डिस्पोजल (कूड़ा निस्तारण) प्लांट स्थापित किया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बुधवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। इसके अनुसार, पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर पटना क्लस्टर में एकीकृत ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन किया जाएगा। इस पर 515 रुपये का खर्च आएगा। पटना, दानापुर, बिहटा, पुनपुन जैसे कुल 13 शहरों के कूड़ा और अपशिष्ट को इकट्ठा कर उनका निस्तारण किया जाएगा। इसका इस्तेमाल बायोगैस और बिजली बनाने में होगा।
नगर विकास एवं आवास विभाग के इस प्रस्ताव को नीतीश कैबिनेट ने मंजूरी दी है। इसके तहत पटना नगर निगम क्षेत्र के रामचक बैरिया में अलग-अलग प्लांट और सुविधाएं विकसित की जाएंगी। यहां रोजाना 1600 टन कचरे का निस्तारण होगा। ठोस अपशिष्ट से 15 मेगावाट बिजली पैदा करने के लिए पावर प्लांट विकसित होगा।
इसके अलावा, 100 टन प्रतिदिन क्षमता वाला बायो-मिथिनेशन प्लांट, 50 टन प्रतिदिन क्षमता वाला एमआरएफ प्लांट, 700 टन प्रतिदिन क्षमता वाला कंपोस्ट प्लांट, 325 प्रतिदिन क्षमता की सैनेटरी लैंडफिल सुविधा और 250 टन प्रतिदिन क्षमता का एमआरएफ सह आरडीएफ प्लांट की स्थापना की जाएगी।
राज्य सरकार के बयान के अनुसार इन संयंत्रों में वैज्ञानिक तरीके से कचरे की प्रोसेसिंग और डिस्पोजल किया जाएगा। इससे शहर स्वच्छ और कचरा मुक्त बनेंगे। पर्यावरण में सुधार होगा और वायु प्रदूषण में कमी आएगी। साथ ही स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग में भी सुधार आएगा। बायो-मिथिनेशन प्रबंधन से बायोगैस का उत्पादन किया जाएगा। इसका उपयोग रिन्यूएबल एनर्जी के रूप में होगा। बायोगैस और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट से बिजली का उत्पादन होगा।
पटना के रामचक बैरिया में प्रस्तावित डिस्पोजल प्लांट में जिले के 13 नगर निकायों का कूड़ा-अपशिष्ट लाया जाएगा। इनमें पटना, दानापुर, फतुहा, खगौल, फुलवारीशरीफ, संपतचक, मनेर, मसौढ़ी, बिहटा, बख्तियारपुर, नौबतपुर, पुनपुन और खुसरूपुर शामिल है।