नई दिल्ली (नेहा): राजधानी दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अगर निगम अभी से इन कुत्तों को उठाकर शेल्टर में डालने का काम करें तो कम से कम पांच साल का समय लगेगा। पांच साल से पहले आवारा कुत्तों को सड़क से उठाया जाना वर्तमान संसाधनों के साथ मुश्किल है।
क्योंकि दिल्ली नगर निगम वर्तमान में 400-500 आवारा कुत्तें फिलहाल प्रतिदिन उठाए जाते हैं। ऐसे में हर माह 15 हजार और एक साल में 1.80 लाख जबकि नौ लाख कुत्ते उठाने में पांच साल तक का समय लग जाएगा। इस बीच कुत्तों की आबादी दो लाख और बढ़ने का अनुमान है।
ऐसे में पांच साल से ज्यादा का समय भी लग सकता है। हालांकि अभी दिल्ली में मात्र चार हजार आवारा कुत्तों को रखने के लिए ही शेल्टर की व्यवस्था है। ऐसे में अगर इनके लिए जगह को चिह्नित करने के साथ ही उसमें स्थायी शेल्टर बनाए जाते हैं तो उसमें भी पांच से छह माह का न्यूनतम समय लगेगा।
एमसीडी के पूर्व पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग के निदेशक डाॅ. वीके सिंह ने कहा कि क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश हैं कि इन कुत्तों को शेल्टर होम में रखना है। साथ ही वहां पर सीसीटीवी से निगरानी भी करनी है।
इसलिए इसके लिए स्थायी व्यवस्था खड़ी करने में कम से कम छह माह का समय तो लगेगा ही। इन कुत्तों कों शेड से बने शेल्टर में रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द से जल्द आवारा कुत्तों को उठाना है तो हर वार्ड में कुत्तों को पकड़ने के लिए कम से कम दो टीमें और दो गाड़ियां लगानी होंगी।
यानी जरूरत 500 गाड़ियों की है। जबकि अभी निगम के पास मात्र 24 गाड़ियां ही हैं और इसी अनुपात में टीमें हैं। एक टीम में चालक सहित चार सदस्य होते हैं।
इसके साथ शेल्टर बनाने के लिए स्थानों को भी चिह्नित करना होगा क्योंकि भूमि का भू उपयोग बदलने और उसके आवंटन में भी काफी समय लग जाता है। निगम फिलहाल घोघा डेरी और द्वारका में एक -एक स्थान को शेल्टर बनाने के लिए उपयोग करने के लिए सोचेगा। इसमें 80 एकड़ भूमि घोघा डेरी में खाली है।
दिल्ली के महापौर राजा इकबाल सिंह ने बताया कि हमने पहले ही हेल्पलाइन बना रखी है। इसी को आवारा कुत्तों के काटने से संबंधी शिकायतों के लिए रखा है। उन्होंने बताया एमसीडी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अपनी एकीकृत हेल्पलाइन 155305 को ही जारी रखने का निर्णय लिया है।
उन्होंने बताया इसके साथ ही नागरिक निगम की वेबसाइट से जोनल हेल्पलाइन का नंबर लेकर भी शिकायत कर सकते हैं। एमसीडी के 311 मोबाइल एप का उपयोग भी शिकायत के लिए किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मौखिक और लिखित शिकायतों के बाद निगम ने 150 कुत्तों को पकड़कर एबीसी सेंटर भेज दिया है।
एमसीडी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन की तैयारी में जुट गई है। इसमें कितने फंड की जरूरत पड़ेगी। फिलहाल इसका अनुमान ही लगाया जा रहा है।
निगम अधिकारियों के मुताबिक एक कुत्ते को उठाने से लेकर उसको शेल्टर में रखने, वैक्सीनेशन कराने, खाना खिलाने, शेल्टर के बिजली पानी का खर्चा आदि सभी खर्चों 110 रुपये प्रति कुत्ता खर्च आएगा। ऐसे में आठ लाख कुत्तों को रखने में आठ करोड़ रुपये प्रतिदिन और मासिक 240 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।