पटना (नेहा): चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में गड़बड़ियों को लेकर उठ रहे सवालों पर प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल और उनके बूथ लेवल एजेंट (BLA)समय रहते नामावली की जांच नहीं करते और बाद में त्रुटियों का मुद्दा उठाने लगते हैं। आयोग ने बताया कि संसद और विधानसभा चुनावों के लिए भारत की निर्वाचन प्रणाली कानून द्वारा तय बहु-स्तरीय विकेन्द्रीकृत ढांचे पर आधारित है। उप-मंडल स्तर पर एसडीएम यानी निर्वाचन निबंधन अधिकारी (ERO), बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) की मदद से मतदाता सूची तैयार और अंतिम रूप देते हैं।
मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद, उसकी डिजिटल और भौतिक प्रतियां सभी राजनीतिक दलों को दी जाती हैं और आयोग की वेबसाइट पर डाली जाती हैं। मतदाताओं और राजनीतिक दलों को आपत्ति और दावा दर्ज करने के लिए एक महीने का समय दिया जाता है। अंतिम सूची प्रकाशित होने के बाद भी उसकी कॉपी राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती है और ऑनलाइन उपलब्ध रहती है। किसी त्रुटि पर अपील करने के लिए दो स्तर की प्रक्रिया है। पहली अपील जिला मजिस्ट्रेट (DM) और दूसरी राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के पास।
चुनाव आयोग ने कहा कि पारदर्शिता पूरी प्रक्रिया की सबसे बड़ी विशेषता है और हर चरण में राजनीतिक दलों व मतदाताओं को त्रुटियां बताने का अवसर दिया जाता है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि हाल ही में कुछ राजनीतिक दल और व्यक्ति मौजूदा व पुरानी मतदाता सूचियों में त्रुटियों का मुद्दा उठा रहे हैं, जबकि सही समय दावे-आपत्ति अवधि के दौरान होता है।
चुनाव आयोग ने कहा कि वह अब भी राजनीतिक दलों और मतदाताओं द्वारा मतदाता सूची की जांच का स्वागत करता है। आयोग का उद्देश्य हमेशा से यही रहा है कि शुद्ध निर्वाचक नामावली लोकतंत्र को और मजबूत बनाए।