नई दिल्ली (नेहा): विदेश मंत्री एस जयशंकर मंगलवार को समय की कसौटी पर खरी उतरी भारत-रूस साझेदारी को और मजबूत करने के लिए मॉस्को की तीन दिवसीय यात्रा पर रवाना हुए। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ दोगुना करके 50 प्रतिशत कर दिए जाने के बाद भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में तनाव बढ़ गया है। इस टैरिफ में रूसी कच्चे तेल की खरीद पर 25 फीसदी का अतिरिक्त जुर्माना भी शामिल है, जो 27 अगस्त से लागू हो सकता है।
इससे पहले विदेश मंत्रालय ने बताया था कि रूस के पहले उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के निमंत्रण पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर 20 अगस्त को निर्धारित आईआरआईजीसी-टीईसी के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता करने के लिए रूस की आधिकारिक यात्रा करेंगे। विदेश मंत्री मॉस्को में भारत-रूस व्यापार मंच की बैठक को भी संबोधित करेंगे। यात्रा के दौरान विदेश मंत्री रूसी संघ के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से भी मिलेंगे। वे द्विपक्षीय एजेंडे की समीक्षा करेंगे। दोनों क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर अपने विचार साझा करेंगे। जयशंकर कर यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत की यात्रा का खाका भी तैयार हो सकता है, जो साल के अंत में प्रस्तावित है।
इस यात्रा का मकसद दीर्घकालिक और समय की कसौटी पर खरी उतरी भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना है। यह उम्मीद की जा रही है कि जयशंकर की मॉस्को यात्रा के दौरान दोनों पक्ष भारत-रूस ऊर्जा संबंधों पर भी विचार-विमर्श करेंगे। जयशंकर की मॉस्को यात्रा के दौरान दोनों पक्षों के यूक्रेन संघर्ष पर भी विचार-विमर्श करने की संभावना है।
भारत लगातार बातचीत और कूटनीति के माध्यम से रूस-यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने का आह्वान करता रहा है। पिछले साल जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मॉस्को की यात्रा की थी और पुतिन से कहा था कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान में संभव नहीं है। बम-गोली के बीच शांति प्रयास सफल नहीं होते। पीएम मोदी ने यूक्रेन की राजधानी कीव का भी दौरा किया था और राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से कहा था कि यूक्रेन और रूस को युद्ध समाप्त करने के लिए बिना समय बर्बाद किए एक साथ बैठना चाहिए।