नई दिल्ली (नेहा): भारत के टेनिस खिलाड़ी युकी भांबरी का यूएस ओपन 2025 का सफर सेमीफाइनल में थम गया। 33 वर्षीय भांबरी और उनके न्यूजीलैंड के जोड़ीदार माइकल वीनस पुरुष युगल वर्ग के अंतिम-4 में इंग्लैंड की जोड़ी जो सेलिसबरी और नील स्कूप्स्की से 7-6 (7-2), 6-7 (5-7), 4-6 से हार गए।
यह मुकाबला लुई आर्मस्ट्रांग स्टेडियम में खेला गया और तीन सेट तक चला। पहला सेट बेहद रोमांचक रहा। भांबरी-वीनस की जोड़ी ने आठवें गेम में ब्रेक लेकर 5-3 की बढ़त बनाई, लेकिन इंग्लिश जोड़ी ने शानदार वापसी कर सेट को टाईब्रेकर तक खींचा। यहां भारतीय-न्यूजीलैंड जोड़ी ने दमदार खेल दिखाते हुए 7-2 से जीत हासिल की।
दूसरे सेट में भी भांबरी-वीनस ने शुरुआत में बढ़त बनाई और पहले ही गेम में ब्रेक हासिल किया। हालांकि छठे गेम में वे अपना सर्विस गंवा बैठे और मुकाबला बराबरी पर आ गया। 10वें गेम में भी इंग्लिश जोड़ी के पास ब्रेक का मौका था, लेकिन भांबरी-वीनस ने बचा लिया। सेट एक बार फिर टाईब्रेकर में गया और इस बार सेलिसबरी-स्कूप्स्की ने 7-5 से बाजी मार ली। निर्णायक सेट में ब्रिटिश खिलाड़ियों ने पहले ही गेम में ब्रेक हासिल कर दबाव बना दिया और 6-4 से जीत दर्ज करते हुए फाइनल में प्रवेश किया।
भांबरी के लिए यह ग्रैंडस्लैम का अब तक का सबसे यादगार अभियान रहा। उन्होंने पहली बार किसी ग्रैंडस्लैम टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। क्वार्टर फाइनल में भांबरी-वीनस की जोड़ी ने क्रोएशिया के निकोला मेक्टिच और भारतीय मूल के अमेरिकी खिलाड़ी राजीव राम को 6-3, 6-7 (8), 6-3 से हराया था। इस जीत ने उन्हें लिएंडर पेस, महेश भूपति और रोहन बोपन्ना जैसे दिग्गजों की श्रेणी में ला खड़ा किया, जिन्होंने ग्रैंडस्लैम युगल में देश का नाम रोशन किया है।
यह उपलब्धि इसलिए भी खास रही क्योंकि पिछले वर्ष फ्रेंच ओपन के बाद पहली बार कोई भारतीय खिलाड़ी ग्रैंडस्लैम युगल के सेमीफाइनल तक पहुंचा। 2024 में रोहन बोपन्ना ने फ्रेंच ओपन के अंतिम-4 में जगह बनाई थी। भांबरी और वीनस की 14वीं वरीयता प्राप्त जोड़ी को क्वार्टर फाइनल तक पहुंचने में दो घंटे 37 मिनट का संघर्ष करना पड़ा था।
युकी भांबरी अब तक भारत को दो एशियाई खेलों के पदक दिला चुके हैं। उन्होंने 2014 के इंचियोन एशियाड में दो कांस्य पदक जीते थे। जूनियर स्तर पर वह ऑस्ट्रेलियन ओपन के चैंपियन रह चुके हैं, हालांकि सीनियर स्तर पर उन्हें उतनी सफलता नहीं मिली। यूएस ओपन का यह अभियान उनके करियर का अब तक का सबसे बड़ा मील का पत्थर साबित हुआ, भले ही फाइनल से पहले उनका सफर थम गया हो।