पेरिस (नेहा): फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गुरुवार को दावा किया है कि 28 देश युद्ध के बाद यूक्रेन को सुरक्षा देने के लिए तैयार हो गये हैं। इसमें जमीनी, नौसैनिक और एयरफोर्स के जवान शामिल होंगे। फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने इसे ‘रीएश्योरेंस फोर्स’ का नाम दिया है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने ये ऐलान पेरिस में आयोजित “कोएलिशन ऑफ द विलिंग” की बैठक के बाद की है, जिसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की भी शामिल हुए थे। बैठक के बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों और जेलेंस्की ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी बातचीत की। इस दौरान मैक्रों ने बताया कि इस योजना में अमेरिका की भूमिका और योगदान, आने वाले दिनों में तय किए जाएंगे।
फ्रांसीसी राष्ट्रपति के यूक्रेन में सैनिकों की तैनाती की इस घोषणा के बाद रूस की तरफ से सख्त प्रतिक्रिया दी गई है। रूसी राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन ने कहा है कि “वह किसी भी हालात में यूक्रेन में विदेशी सैनिकों की तैनाती को स्वीकार नहीं करेगा।” फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों और अन्य यूरोपीय नेताओं ने इससे पहले जेलेंस्की के साथ अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ से मुलाकात की थी, ताकि युद्धविराम या शांति स्थापित होने के अगले दिन देश की सुरक्षा में दीर्घकालिक सैन्य समर्थन और सहायता तय की जा सके।
पेरिस में हुई इस अहम बैठक में 35 देशों के नेताओं ने हिस्सा लिया था, जिनमें ज्यादातर यूरोपीय राष्ट्र थे। कई नेताओं ने वर्चुअली शामिल होकर यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी देने के फैसले को समर्थन दिया। यूरोपीय नेताओं ने साफ कहा कि अब रूस को युद्ध समाप्त करने की दिशा में काम करना चाहिए। जर्मन सरकार ने संकेत दिए कि यदि मास्को युद्ध को और लंबा खींचता है, तो यूरोपीय संघ रूस पर नए और कड़े आर्थिक प्रतिबंध लागू कर सकता है। बैठक से पहले ही अमेरिकी शांति वार्ता दूत स्टीव विटकॉफ भी यूरोपीय नेताओं और जेलेंस्की से मिले थे। इस दौरान दीर्घकालिक सैन्य सहायता और आर्थिक सहयोग को लेकर ब्लूप्रिंट तैयार किया गया।
दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय संघ पर प्रेशर डाला है कि वो अमेरिका के साथ मिलकर रूस से तेल और गैस का आयात बंद करें। ट्रंप ने कहा कि रूस की “वॉर मशीन” को रोकने का सबसे बड़ा हथियार आर्थिक दबाव ही है। इस बीच, यूरोपीय संघ ने पहले ही यह लक्ष्य तय कर रखा है कि 2027 तक रूस से तेल और गैस का आयात पूरी तरह रोक दिया जाएगा। वहीं, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने कहा है कि यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने के लिए अमेरिका का साथ होना जरूरी है।