नई दिल्ली (नेहा): कभी-कभी शोर करने वालों से ज़्यादा, खामोश लड़ने वाले इतिहास लिख जाते हैं। ऐसा ही एक चेहरा, एक नाम, और एक ठहरी हुई आंखें सामने आएंगी जिसका नाम होगा चेतेश्वर पुजारा. जिसने न तो स्लेजिंग की, न ही स्टाइल के लिए हेडलाइंस मांगी बस हर बार जब टीम को उसकी ज़रूरत थी, वो चुपचाप बल्ला लेकर खड़ा हो गया. राजकोट की गलियों से लेकर मेलबर्न और जोहान्सबर्ग तक,हर मैदान पर उसने एक ही काम किया बॉल को झेला, वक़्त को थामा, और भारत को संभाला। अब वो एक नई जिम्मेदारी को संभालने की फिर तैयारी कर रहे है।
हाल में क्रिकेट के सभी फॉर्मेट को अलविदा कहने वाले चेतेश्वर पुजारा दोबारा टीम के साथ जुड़ना चाहते है पर वो इस बार वो अपनी भूमिका अलग तरीके की देख रहे है। पुजारा ने कहा कि वो भविष्य में टीम इंडिया के कोचिंग की जिम्मेदारी उठाने को तैयार है और अपने अनुभव को युवा खिलाड़ियों के सात साझा करने में खुशी होगी।