नई दिल्ली (नेहा): डोनाल्ड ट्रम्प के 50% टैरिफ लगाए जाने के बाद पहली बार ट्रेड डील पर बातचीत के लिए आज (16 सितंबर, मंगलवार) अमेरिकी दल भारत पहुंचा। अमेरिकी टीम के साथ मीटिंग के बाद कॉमर्स मिनिस्ट्री ने एक बयान में कहा कि भारत और अमेरिका ने ट्रेड डील को जल्द से जल्द फाइनल करने के अपनी कोशिशें तेज करने का फैसला किया है। बयान के मुताबिक, मीटिंग में ट्रेड एग्रीमेंट्स के कई पहलुओं पर पॉजिटिव चर्चा हुई। दोनों देशों का लक्ष्य एक ऐसा समझौता करना है, जो दोनों के लिए फायदेमंद हो और बाइलेट्रल ट्रेड को और मजबूत करे। यह कदम दोनों देशों के बीच इकोनॉमिक रिलेशनशिप को गहरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कॉमर्स मिनिस्ट्री ने यह बयान आज नई दिल्ली में हुई करीब 7 घंटे की मीटिंग के बाद जारी किया। इस मीटिंग में अमेरिकी ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस के चीफ नेगोशिएटर ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक टीम ने भारत के कॉमर्स डिपार्टमेंट के स्पेशल सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल के साथ चर्चा की। दोनों पक्षों ने भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों के महत्व को स्वीकार किया। हालांकि, इस मीटिंग में यह तय नहीं हुआ है कि ट्रेड डील पर छठे राउंड की बातचीत कब होगी। दोनों देशों के बीच ट्रेड पर छठे दौर की बातचीत 25 से 29 अगस्त के बीच होनी थी, लेकिन अमेरिका की ओर से भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लगाने के कारण इसे टाल दिया गया था। अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर यह टैरिफ लगाया था।
अमेरिका चाहता है कि उसके डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, पनीर, घी को भारत में आयात की अनुमति मिले। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और इस सेक्टर में करोड़ों छोटे किसान लगे हुए हैं। भारत सरकार को डर है कि अगर अमेरिकी डेयरी उत्पाद भारत में आएंगे, तो वे स्थानीय किसानों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा धार्मिक भावना भी जुड़ी हुई हैं। अमेरिका में गायों को बेहतर पोषण के लिए जानवरों की हड्डियों से बने एंजाइम (जैसे रैनेट) को उनके खाने में मिलाया जाता है। भारत ऐसी गायों के दूध को ‘नॉन वेज मिल्क’ यानी मांसाहारी दूध मानता है।
भारत और अमेरिका का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करना है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जुलाई 2025 में भारत का अमेरिका को निर्यात 21.64% बढ़कर 33.53 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 12.33% बढ़कर 17.41 अरब डॉलर रहा। अमेरिका इस दौरान भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा, जिसके साथ 12.56 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। अप्रैल से भारत का अमेरिका को निर्यात लगातार बढ़ रहा है।