नई दिल्ली (नेहा): देश की राजधानी दिल्ली में एक 6 गज का मकान है। 6 गज यानी जीतने में आपके घर का एक कमरा भी नहीं होता है, उतने में यह पूरा मकान बनाकर तैयार है। यह दिल्ली के सबसे छोटे मकान के नाम से यह मशहूर है। यहां दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं। लोग इसे दिल्ली का अजूबा भी कहते हैं, लेकिन यह मकान कैसे बना, इसके पीछे बहुत दिलचस्प कहानी है। तो फिलहाल उस वक्त इस घर में कोई भी नहीं मिला। यह मकान बंद था, लेकिन आसपास के लोगों ने इस पूरे मकान की हकीकत बताई। आपको बता दें कि दिल्ली का यह सबसे छोटा मकान संत नगर की मेन मार्केट को पार करके 63 नंबर गली में है। यह बुराड़ी के झड़ौदा गांव में है। यह मकान इतना मशहूर है कि आप इस इलाके में किसी से भी 6 गज का मकान पूछेंगे, तो लोग आपको फटाफट पूरा पता बता देंगे।
यहां पर पिछले 30 सालों से रह रही सुमन ने बताया कि साल 2014 और 15 के आसपास इस मकान को बनाने का काम शुरू किया गया था। इलाके में जहां पर गली खत्म होती है। वहां जमीन खाली पड़ी हुई थी। उस वक्त इस जमीन की कीमत सिर्फ 15000 से लेकर 20,000 रुपए के बीच में थी, लेकिन आज इसी जमीन की कीमत मकान के मशहूर होने की वजह से 14 लाख के ऊपर पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि इस मकान में एक परिवार किराए पर रहता है, जिसमें 4 सदस्य हैं. दो बेटे और पति-पत्नी, पत्नी का नाम पिंकी है, जबकि पति का नाम संजय है। संजय किसी गुड़गांव की निजी कंपनी में गाड़ी चलाते हैं और उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने यह भी बताया कि साल 2020 में यह परिवार इस घर में रहने आया था। लॉकडाउन में भी एक परिवार यहीं पर था. इस मकान का किराया 3500 रुपए है।
इसी इलाके के रहने वाले रितेश ने बताया कि महज 6 गज जमीन, जिसे एक लोकल प्रॉपर्टी डीलर ने अरूण नाम के शख्स को बेचा था। इसके बाद अरूण ने खुद नक्शा और डिजाइन बनाकर 3 मंजिला इमारत को खड़ा करवाया। पड़ोसी मुकेश ने बताया कि पवन कुमार उर्फ सोनू ने यह मकान चार साल पहले खरीदा था। जो अरुण कुमार के नाम पर था. मकान तिकोना है। मकान में ढाई फुट का छज्जा दो रास्तों पर निकला है, जिससे थोड़ी जगह बढ़ गई है। ऊपर जाकर यह मकान 12 गज का हो जाता है। उन्होंने बताया कि इस मकान को अरुण कुमार ने खुद बनाया था, क्योंकि वो राजमिस्त्री हैं. मकान बेचकर वो कहां गए। यह किसी को नहीं पता है। उन्होंने यह भी बताया कि इस मकान को एमसीडी तोड़ने वाली थी, लेकिन मामला रुक गया। यही नहीं बिजलीकर्मियों ने इस मकान को मापा भी था, जिसमें यह साफ हुआ था कि यह घर छह गज का ही है।