बठिंडा (नेहा)- पंजाब के बठिंडा ज़िले के जीड़ा गांव में करीब 6 दिन पहले एक घर में हुए दो धमाकों ने एक बड़े आतंकी खतरे का खुलासा किया है। पुलिस और जांच एजेंसियों के अनुसार 19 साल के लॉ छात्र गुरप्रीत सिंह आत्मघाती हमला करने की तैयारी कर रहा था और उसका निशाना जम्मू-कश्मीर के कठुआ ज़िले का एक सैन्य प्रतिष्ठान था।
बता दें कि करीब करीब 6 दिन पहले पहला धमाका सुबह 6 बजे से पहले गुरप्रीत के घर में हुआ, जब वह विस्फोटक रसायनों की मिलावट कर रहा था। धमाके में उसका दायां हाथ कट गया और वह गंभीर रूप से घायल हो गया। दोपहर करीब ढाई बजे उसके पिता जगतार सिंह ने घर में बचे रसायनों को छेड़ा, जिससे दूसरा और अधिक शक्तिशाली धमाका हुआ। इसमें उन्हें चेहरे और आंखों पर गहरी चोटें आईं. दोनों को AIIMS भटिंडा में भर्ती कराया गया। अस्पताल ने अगले दिन पुलिस को सूचना दी।
फॉरेंसिक टीम ने घर से विस्फोटक रसायनों के सैंपल और ऑनलाइन कूरियर पैकेज जब्त किए। गुरप्रीत ने ये रसायन कैश-ऑन-डिलीवरी के जरिए मंगाए थे। पुलिस को उसके पास से मल्टी-पॉकेट वेस्ट (जैकेट) भी मिली है, जिसे वह विस्फोटक से भरकर आत्मघाती हमले में इस्तेमाल करना चाहता था। जांच में सामने आया है कि गुरप्रीत ने “इक़बाल” नाम से नकली प्रोफ़ाइल बनाकर कट्टरपंथी सामग्री देखी थी और जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े वीडियो देखता था।अधिकारियों का मानना है कि इन्हीं वीडियो से वह प्रभावित हुआ। उसकी योजना थी कि 11 सितंबर को बस से कठुआ पहुंचकर किसी सैन्य इमारत पर विस्फोट किया जाए, लेकिन हादसे में उसकी योजना नाकाम हो गई।
गुरप्रीत जिस रसायन मिश्रण सोडियम एजाइड, लीड नाइट्रेट और लीड एजाइड पर काम कर रहा था, वह अत्यधिक विस्फोटक था। बताया गया कि जब वह सूखे लीड एजाइड को प्लास्टिक चम्मच से अलग कर रहा था, तभी धमाका हो गया। बम निरोधक दस्ते ने कमरे में प्रवेश करने में पूरा दिन लगाया क्योंकि हल्की सी गलती भी बड़ा विस्फोट करा सकती थी। पुलिस का कहना है कि यह ‘लोन वुल्फ’ यानी अकेले आतंकी का मामला प्रतीत होता है। अब तक किसी बाहरी हैंडलर या नेटवर्क के सबूत नहीं मिले हैं. इंटेलिजेंस ब्यूरो, एनआईए और कठुआ पुलिस जांच में शामिल हैं।
परिजनों का कहना है कि गुरप्रीत किशोरावस्था से ही दर्द की दवाओं (जैसे प्रेगाबालिन) पर था, जिनके साइड इफेक्ट से उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ी। डॉक्टरों ने उसे अकेला न छोड़ने की सलाह दी थी, लेकिन पारिवारिक परिस्थितियों के कारण वह अक्सर अकेला रह गया। स्कूल व दोस्तों के अनुसार वह हिंसक चित्र बनाता और मजाक में बम फेंकने की बातें करता था, जिसे कभी गंभीरता से नहीं लिया गया। वहीं इस मामले में पिता-पुत्र दोनों के खिलाफ विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 के तहत मामला दर्ज किया गया है। जांच एजेंसियां अब रेडिकलाइजेशन और संभावित बाहरी कनेक्शन दोनों पहलुओं की गहन पड़ताल कर रही हैं।