नई दिल्ली (नेहा): दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनावों में प्रचार के लिए बेंटले, रोल्स राॅयस और फरारी जैसी लग्जरी कारों से लेकर जेसीबी के इस्तेमाल पर नाराजगी जताते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि अदालत छात्रों के रवैए से निराश है। अदालत ने कहा कि उम्मीदवारों और चुनाव आयोजक डीयू प्रशासन ने ने पिछले साल के उस न्यायिक आदेश से कोई सबक नहीं सीखा है, जिसमें संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने व उपद्रव के कारण चुनाव परिणामों पर रोक लगा दी गई थी। डूसू चुनाव में जीत दर्ज करने वाले विजेताओं सहित सात उम्मीदवारों को नोटिस जारी करते हुए अदालत ने कहा कि यह बहुत दुखद है।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने सवाल उठाया कि छात्र संघ चुनावों में प्रचार के उम्मीदवारों को इतनी लग्जरी कारें कहां से मिलती हैं? जबकि हमने इन कारों के बारे में सुना तक नहीं है। अदालत ने निर्देश दिया कि चुनाव में उम्मीदवार रहे और विश्वविद्यालय द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किए गए सात छात्रों को कार्यवाही में पक्ष बनाया जाए। इसके साथ ही अदालत ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के नवनिर्वाचित डूसू अध्यक्ष आर्यन मान, एनएसयूआई के उपाध्यक्ष राहुल झांसला, सचिन कुणाल चौधरी व संयुक्त सचिव दीपक झा सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
इसके अलावा अदालत ने दो समाचार चैनलों को भी पक्ष बनाते हुए उन्हें अपने संवाददाताओं द्वारा डूसू चुनावों की कवरेज के वीडियो फुटेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। साथ ही चैनलों से चुनाव कवरेज के वीडियो फुटेज सुरक्षित रखने को भी कहा। अदालत याचिकाकर्ता व वकील प्रशांत मनचंदा द्वारा 2017 में दायर एक याचिका पर दाखिल ताजा आवेदन पर सुनवाई कर रही है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सार्वजनिक संपत्तियों को उम्मीदवारों द्वारा नुकसान पहुंचाया जा रहा है और कैंपस के अंदर गाड़ियों के लंबे काफिले से प्रचार किया जा रहा है, जोकि चुनाव प्रचार नियमों का उल्लंघन है।