नई दिल्ली (नेहा): दिल्ली सरकार ने राजधानी के प्रशासनिक ढांचे में बड़ा बदलाव करने का फैसला लिया है। अब दिल्ली में 11 की बजाय 13 जिले होंगे। इसके साथ ही मौजूदा जिलों की सीमाओं और नामों में भी फेरबदल किया जाएगा। यह निर्णय प्रशासनिक सुधार, विभागों के बीच बेहतर समन्वय और जनता की शिकायतों का तेज़ निवारण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है। सरकार का मानना है कि जिलों का आकार छोटा होने से कामकाज तेज़ होगा और निगरानी की व्यवस्था मजबूत बनेगी। अभी तक कई बार अलग-अलग विभागों के बीच सीमाओं को लेकर विवाद सामने आते रहे हैं, लेकिन नए जिलों और सीमाओं के तय होने के बाद ऐसे विवाद खत्म होंगे। जनता को भी राहत मिलेगी क्योंकि अब वे अपनी सभी शिकायतें सीधे जिला अधिकारी (DM) के पास ले जा सकेंगे।
नए ढांचे में जिलाधिकारी को अन्य राज्यों के जिला अधिकारियों जैसी शक्तियां दी जाएंगी. इसका मतलब है कि अब DM कार्यालय में ही दिल्ली जल बोर्ड, PWD, समाज कल्याण विभाग और अन्य अहम विभागों के नोडल अधिकारी मौजूद रहेंगे। इससे न केवल समन्वय बेहतर होगा बल्कि जनता को अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर भी नहीं काटने पड़ेंगे। दिल्ली में नगर निगम (MCD) के जोन को ही नए जिले बनाने की योजना है। फिलहाल दिल्ली में 12 जोन हैं, जिन्हें जिलों के रूप में पुनर्गठित किया जाएगा। इस प्रक्रिया के चलते कुछ मौजूदा जिलों के नाम और उनकी भौगोलिक स्थिति बदल सकती है। माना जा रहा है कि शाहदरा जिला समाप्त हो सकता है, जबकि दक्षिण और दक्षिण-पूर्व जिले को भी नए स्वरूप में लाया जा सकता है। इसी तरह बाहरी दिल्ली और उत्तर-पश्चिम जिले के नाम और सीमाओं में भी बदलाव संभावित है।
नए जिलों के बनने के बाद जनता को सबसे बड़ा फायदा होने की उम्मीद है ,उन्हें प्रशासन तक पहुंचने में आसानी होगी। हर जिले में अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी और कामकाज में तेजी आएगी। छोटे जिलों की वजह से स्वास्थ्य, शिक्षा, जल और सड़क जैसी सेवाओं पर निगरानी आसान होगी। दिल्ली सरकार ने इस फैसले के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है। अब कैबिनेट की मंजूरी और उपराज्यपाल की सहमति के बाद इसे अधिसूचित किया जाएगा। इसके बाद दो नए जिलों का गठन औपचारिक रूप से लागू होगा।