नई दिल्ली (पायल): कर्नाटक में एक पंचायत अधिकारी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक कार्यक्रम में शामिल होना भारी पड़ गया। कार्यक्रम में शामिल होने के बाद अधिकारी के खिलाफ पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इसके बाद अधिकारी को निलंबित कर दिया गया।
दरअसल, पंचायत विकास अधिकारी प्रवीण कुमार केपी 12 अक्टूबर को आरएसएस की वर्दी पहनकर आरएसएस शताब्दी समारोह में भाग लेने पहुंचे। जिसके चलते उन्हें निलंबित कर दिया गया। यह घटना कर्नाटक की कांग्रेस सरकार द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर इस संगठन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए नियम लाने के कुछ दिनों बाद हुई है। इस कार्रवाई की निंदा करते हुए भाजपा ने कांग्रेस की “विकृत और हिंदू-विरोधी मानसिकता” की निंदा की है।
रायचूर जिले के सिरवार तालुक के पंचायत विकास अधिकारी प्रवीण कुमार केपी 12 अक्टूबर को लिंगसुगुर में आरएसएस की वर्दी पहनकर और एक छड़ी के साथ उनके रूट मार्च में शामिल हुए थे। इसके चलते उन्हें शुक्रवार को ग्रामीण विकास और पंचायत राज (आरडीपीआर) विभाग ने आरएसएस शताब्दी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए निलंबित कर दिया।
जानकारी मुताबिक, आईएएस अधिकारी अरुंधति चंद्रशेखर द्वारा जारी निलंबन आदेश में कहा गया है कि उनके कार्यों ने सिविल सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन किया है, जिनमें राजनीतिक तटस्थता और अनुशासन की आवश्यकता होती है। विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं और अधिकारी अगली सूचना तक जीवन निर्वाह भत्ते के साथ निलंबित रहेगी।
पंचायत अधिकारी के निलंबन आदेश में कहा गया है कि अधिकारी ने कर्नाटक सिविल सेवा (आचरण) नियम, 2021 के नियम 3 का उल्लंघन किया है, जो सरकारी कर्मचारियों को राजनीतिक तटस्थता, अखंडता और अपने पद के अनुरूप आचरण बनाए रखने का आदेश देता है। साथ ही कहा गया है कि उनके कार्य एक लोक सेवक से अपेक्षित मानकों के अनुरूप भी नहीं थे।
वहीं कर्नाटक की कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कर्नाटक भाजपा प्रमुख विजयेंद्र येदियुरप्पा ने निलंबन को सरकारी मशीनरी का उपयोग करके “देशभक्ति की भावनाओं पर हमला” कहा है। उन्होंने कहा, “यह और कुछ नहीं, बल्कि कर्नाटक कांग्रेस पार्टी की द्वेष से प्रेरित विकृत और हिंदू-विरोधी मानसिकता है। आपने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया है। इसे वापस पटरी पर लाने की रणनीति हम जानते हैं। इस निलंबन को तुरंत माफी मांगकर रद किया जाना चाहिए, अन्यथा इस विभाजनकारी राजनीति का मुकाबला करने के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था के भीतर संवैधानिक तरीकों से उचित जवाब दिया जाएगा।”