नई दिल्ली (पायल): समृद्धि, सौभाग्य और नई शुरुआत का प्रतीक ‘लाभ पंचमी’ का पर्व पावन हर साल कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी पर मनाया जाता है। इस बार यह पंचमी रविवार, 26 अक्टूबर को मनाई जाएगी। आपको बता दें, यह पर्व मुख्य रूप से गुजरात में मनाया जाता है और गुजराती नववर्ष के पहले कार्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। ज्यादातर व्यवसायी इस दिन अपने व्यवसाय को नए सिरे से शुरू करते हैं।
वे नई डायरी खोलते हैं, जिसके शुरू के पन्ने में बाईं ओर ‘शुभ,’ दाईं ओर ‘लाभ’ लिखते हैं, और केंद्र में स्वास्तिक बनाकर कारोबार की शुरुआत करते हैं। मान्यता है कि यह परंपरा मुनाफे और समृद्धि का प्रतीक है। ऐसे में आइए जानते हैं ‘लाभ पंचमी’ की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।
शुभ मुहूर्त ‘लाभ पंचमी’
आपको जानकारी के लिए बता दें, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 26 अक्टूबर को ब्रह्म मुहूर्त 3 बजकर 48 मिटन पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 27 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 4 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, इस बार ‘लाभ पंचमी’ रविवार, 26 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 29 मिनट से सुबह 10 बजकर 13 मिनट तक रहने वाला है।
ऐसे करें ‘लाभ पंचमी’ की पूजा
– ‘लाभ पंचमी’ पर स्नान के बाद घर या कार्यस्थल की पूजा स्थली को साफ करें।
रंगोली बनाएं, स्वास्तिक अंकित करें और दीप प्रज्वलित करें।
– इसके बाद एक तांबे या मिट्टी के कलश में जल भरकर उस पर सुपारी, सिक्का और आम के पत्ते रखें।
– भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और चंदन, कुमकुम, फूल, दूर्वा और धूप-दीप से उनकी पूजा करें।
– नए लेजर या खाता-बही पर स्वास्तिक और ‘श्री’ अंकित कर उसे चंदन-कुमकुम से सजाएं और पूजन करें।
– इस दौरान गणेश मंत्र ‘ॐ गं गणपतये नमः’ और लक्ष्मी मंत्र ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः’ का 108 बार जाप करें।
– पूजन के बाद लक्ष्मी-गणेश की आरती करें और मिठाई, फल व खील-बताशे का प्रसाद वितरित करें।
– ब्राह्मणों, जरूरतमंदों या मंदिर में वस्त्र, भोजन या धन का दान करें।
– पूजन के बाद परिवार के साथ स्नेहपूर्ण भोजन करें।


