नई दिल्ली (पायल): सोमवार को फरीदाबाद में होने वाली उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में पंजाब के हितों को कमजोर करने वाले मुद्दों पर चर्चा होगी, इनमें भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड, पंजाब विश्वविद्यालय सीनेट और प्रमुख कार्यों का नियंत्रण शामिल हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान इस क्षेत्रीय बैठक में शामिल होंगे और पंजाब की ओर से इन मुद्दों पर अपनी आपत्तियाँ रखेंगे।
फरीदाबाद में होने वाली बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे और इस बैठक में पंजाब के साथ-साथ चंडीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, राजस्थान और दिल्ली के प्रतिनिधि भाग लेंगे। मुख्यमंत्री ने आज की बैठक की तैयारी के लिए शीर्ष अधिकारियों के साथ कुछ मुद्दों पर भी चर्चा की। सबसे ज़रूरी मुद्दा पंजाब विश्वविद्यालय सीनेट का पुनर्गठन और जल्द चुनाव कराना है। इस मुद्दे पर छात्र पहले से ही संघर्ष कर रहे हैं और राज्य के राजनीतिक दलों ने इस केंद्रीय प्रवेश को संघीय अधिकारों पर हमला करार दिया है।
पंजाब सरकार भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) में हिमाचल प्रदेश और राजस्थान को स्थायी सदस्य बनाने का कड़ा विरोध करेगी। पंजाब इसे अतिरिक्त बोझ कहेगा और पुराने ढांचे को बरकरार रखने पर जोर देगा। पंजाब सरकार तर्क देगी कि पंजाब ने पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 की धारा 78 और 79 को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है और जब तक मामला न्यायालय में लंबित है, तब तक भाखड़ा बोर्ड में नए सदस्यों की नियुक्ति किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है।
इसके अलावा भाखड़ा और पोंग बांध से गाद हटाने का मुद्दा भी उठाया जाएगा क्योंकि बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान पंजाब को उठाना पड़ता है। हरियाणा और राजस्थान ऐसे मौकों पर पानी लेने से मना कर देते हैं।
पंजाब भाखड़ा और नंगल बांध पर केंद्रीय बलों की तैनाती पर भी आपत्ति जताएगा। रोपड़, हरिके और फिरोजपुर हेड वर्क का कंट्रोल दूसरे राज्य को सौंपने का भी विरोध हो सकता है। पंजाब का तर्क है कि ये प्रमुख कार्य पंजाब में हैं और पंजाब सरकार इनका प्रबंधन कर रही है। किसी भी राज्य में प्रमुख कार्यों पर राज्य से बाहर की कोई भी एजेंसी नियंत्रण नहीं रखती।
जिस दौरान मुख्यमंत्री यमुना के जल बंटवारे का मुद्दा भी उठाएंगे। बैठक में सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण का मुद्दा भी उठेगा लेकिन पंजाब सरकार अपना पुराना रुख दोहरायेगी कि राज्य के पास अतिरिक्त पानी नहीं है और यह मामला ट्रिब्यूनल में है।
हरियाणा भाखड़ा मेन लाइन का मुद्दा उठा सकता है; पंजाब घग्गर की बाढ़ को रोकने के लिए स्थायी समाधान की मांग उठाएगा। राजस्थान रावी और व्यास से 0.60 एमएएफ और भाखड़ा मुख्य लाइन से 0.17 एमएएफ अतिरिक्त पानी की मांग करेगा। पंजाब केंद्र द्वारा राज्य के अधिकारों के लगातार हनन से बेहद निराश है, जिसके चलते कल की बैठक काफी हंगामेदार हो सकती है।
क्षेत्रीय परिषदें केंद्र और राज्यों के बीच तथा राज्यों के बीच मुद्दों और विवादों को सुलझाने के लिए एक मंच प्रदान करती हैं। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत पाँच क्षेत्रीय परिषदों का गठन किया गया था, जिनमें से उत्तरी क्षेत्रीय परिषद एक है। केंद्रीय गृह मंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं, सदस्य राज्य के मुख्यमंत्री (जो हर साल बदलते हैं) इसके उपाध्यक्ष होते हैं।
यहां बता दें कि इस बार हरियाणा के मुख्यमंत्री इसके उपाध्यक्ष हैं। प्रत्येक सदस्य राज्य का राज्यपाल परिषद के सदस्य के रूप में दो मंत्रियों को नामित करता है। प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद ने मुख्य सचिव स्तर की एक स्थायी समिति भी गठित की है। राज्यों द्वारा प्रस्तावित मुद्दों को प्रारंभ में चर्चा के लिए संबंधित क्षेत्रीय परिषद की स्थायी समिति के समक्ष रखा जाता है। स्थायी समिति द्वारा विचार के बाद शेष मुद्दों को क्षेत्रीय परिषद की बैठक में आगे की चर्चा के लिए लाया जाता है।


