नई दिल्ली (पायल): दिल्ली की हवा इन दिनों सबसे ज्यादा जहरीली हो गई है। हाल के आंकड़ों के मुताबिक, राजधानी में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 350 के पार पहुंच चुका है, और ठंड शुरू होते ही प्रदूषण चरम पर पहुंच गया। इस स्थिति को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की अध्यक्षता में हाई-लेवल बैठक आयोजित की गई, जिसमें दिल्ली और चार पड़ोसी राज्यों- हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के चीफ सेक्रेटरी शामिल हुए।
बैठक में यह तथ्य सामने आया कि दिल्ली-NCR में अभी भी करीब 37% वाहन पुराने BS I से BS III एमिशन नॉर्म्स के तहत चल रहे हैं। इसी कारण राजधानी और आसपास के क्षेत्र में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक सीमा तक पहुंचा। पीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ावे, चार्जिंग नेटवर्क के विस्तार और नए नियमों के तेजी से पालन करने का निर्देश दिया।
दिल्ली में लगभग 1.57 करोड़ गाड़ियां हैं, जबकि पूरे NCR में 2.97 करोड़ वाहन रजिस्टर्ड हैं। यही वजह है कि ट्रांसपोर्टेशन पर विशेष जोर दिया जा रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, वाहनों से होने वाला धुआं और पुराने इंजन वाले वाहन प्रदूषण में सबसे बड़ा योगदान देते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन का गठन किया है, जिसने भी गाड़ियों और ट्रैफिक से जुड़े प्रदूषण को प्राथमिक चिंता के रूप में रखा है। अब दिल्ली और आसपास के चार राज्यों को ANPR (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन), RFID (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) और ITMS (इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट) सिस्टम लागू करने के लिए कहा गया है।
हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के कई प्रयास हो रहे हैं, लेकिन डेटा बताते हैं कि राजधानी में अभी तक इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की संख्या पेट्रोल-वाहनों की तुलना में बहुत कम है। अक्टूबर में केवल 4,419 इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर रजिस्टर हुए, जबकि पेट्रोल वाहनों की संख्या दोगुनी रही। फोर-व्हीलर में भी बैटरी वाहन अपनाने की गति धीमी है, इस साल जनवरी से अक्टूबर तक कुल 17,942 EV और EV-हाइब्रिड वाहन रजिस्टर हुए।
विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले दो हफ्तों में पराली जलाने और वाहनों से निकलने वाले धुएं के कारण दिल्ली का AQI खतरनाक स्तर तक पहुंच गया। इसी कारण दिल्ली सरकार को ग्रैप के स्टेज 2 को लागू करना पड़ा।


