नई दिल्ली (नेहा): अमेरिका के टेक्नोलॉजी सेक्टर को इनोवेशन के लिए जाना जाता है। यहां मौजूद सिलिकॉन वैली ने टेक सेक्टर में बड़े-बड़े कीर्तिमान हासिल किए हैं। हालांकि, अब इसी सिलिकॉन वैली में वर्कफोर्स यानी काम करने वाले लोग इतने ज्यादा बदल चुके हैं कि कई तो ये देख हैरान भी हैं। सिलिकॉन वैली में जनरेशन Z (21 से 25 साल की उम्र के लोग) वर्कर्स की संख्या तेजी से घट रही है। यहां काम करने वाले कर्मचारियों की औसतन उम्र भी बढ़ती जा रही है।
आसान भाषा में कहें तो सिलिकॉन वैली की टेक कंपनियों में Gen Z युवाओं को जॉब नहीं मिल रही है। यहां सिर्फ एक्सपीरियंस वाले लोग ही नौकरी पा रहे हैं। इसकी मुख्य वजह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोमेशन है। इसने ना सिर्फ हायरिंग का तरीका बदल दिया है, बल्कि इनोवेशन, टैलेंट डेवलपमेंट और इंडस्ट्री में होने वाली प्रतिद्वंद्विता पर भी असर डाला है। सिलिकॉन वैली में जॉब पाना मौजूदा वक्त के स्टूडेंट्स के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल हो चुका है। उनके बेरोजगार रहने का खतरा है।
कम्पनशेशन मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर कंपनी Pave ने 8300 कंपनियों में एक सर्वे किया। इसके बाद जारी अपनी रिपोर्ट में बताया कि हर कंपनी में युवा लोगों की संख्या घट रही है। जनवरी 2023 में पब्लिक लिस्टेड टेक कंपनियों में 21 से 25 साल उम्र के लोगों की संख्या 15% थी। अगस्त 2025 तक ये संख्या घटकर 6.8% हो गई। प्राइवेट कंपनियों में भी युवा कर्मचारियों की संख्या कम हुई है। ये 9.3% से घटकर 6.8% हो गई है। इस दौरान अमेरिकी टेक कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों की उम्र तेजी से बढ़ी है।
तीन साल से कम समय में टेक कंपनियों में वर्कफोर्स में शामिल लोगों की औसतन उम्र 34.3 से लेकर 39.4 हो गई है। पिछले पांच साल में ये सबसे ज्यादा है। इसका मतलब है कि अब कंपियों में पुरानी पीढ़ी के लोगों को दबदबा है। कंप्यूटर साइंस की डिग्री के साथ ग्रेजुएट युवा लोगों की संख्या घट रही है और वे टेक सेक्टर से तेजी से बाहर हो रहे हैं।
युवाओं के वर्कफोर्स से बाहर होने की मुख्य वजह AI की वजह से हो रहा ऑटोमेशन है। सेल्सफोर्स, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक कंपनियं ने AI टूल्स का इस्तेमाल काफी ज्यादा बढ़ा दिया है। इस वजह से एंट्री-लेवल नौकरियों के लिए जो हायरिंग होती थी, उसे रोक दिया गया है। अब एंट्री-लेवल वाले काम AI से हो जा रहे हैं। डाटा मैनेजमेंट, कस्टमर सोर्सिंग या बेसिक कोडिंग जैसे काम को तो AI पूरी तरह से खा चुका है। पहले इन कामों को करने का जिम्मा फ्रेशर्स के पास होता था।
सीनियर लेवल वाली पॉजिशन में काम करने वाले वर्कर्स के पास तुरंत फैसला लेने, निर्णायक तरीके से सोचने और क्रिएटिविटी की क्षमता होती है। ऑटोमेशन की वजह से इन्हें कोई खतरा नहीं है। इसके उलट एंट्री-लेवल जॉब्स में एक पैटर्न पर काम होता है, जिसे AI आसानी से कर सकता है। जितनी तेजी से ऑटोमेशन अपनाया जा रहा है, उसकी वजह से युवा लोगों के लिए टेक सेक्टर के दरवाजे बंद हो रहे हैं। सिलिकॉन वैली की कई कंपनियों में अब नौकरी पाना चुनौतीपूर्ण हो चुका है।