जयपुर (राघव): 25 साल पुराने मालपुरा सांप्रदायिक दंगे से जुड़े एक केस में मंगलवार को सांप्रदायिक दंगा मामलों की विशेष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस मामले में शामिल सभी 13 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि इस केस में जांच बेहद लापरवाही से की गई। मामले में तीन जांच अधिकारी बदले, लेकिन किसी ने भी मामले की ठीक तरह से जांच नहीं की। अदालत ने पुलिस की कार्यशैली और सबूत जुटाने के तरीके पर भी गंभीर सवाल उठाए।
कोर्ट ने माना कि इस केस में जांच का स्तर बेहद कमजोर रहा। पुलिस न तो ठोस सबूत जुटा पाई, न ही आरोपियों की पहचान सही ढंग से करवाई गई। गवाहों के बयानों में भारी विरोधाभास पाए गए। आरोपियों के वकील वीके बाली और सोनल दाधीच ने अदालत में दलील दी कि गवाहों ने अपने बयानों में कहा कि आरोपियों के चेहरे ढके हुए थे। ऐसे में उनकी शिनाख्त संभव नहीं थी। उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस ने वह हथियार भी बरामद नहीं किया जिससे हत्या की बात कही गई थी।
वकीलों ने कोर्ट में तर्क दिया कि घटना के समय इलाके में धारा 144 लागू थी। ऐसे में जो गवाह पुलिस की ओर से पेश किए गए, वे घटना स्थल पर मौजूद नहीं थे। कोर्ट ने भी इस पर सहमति जताई और कहा कि पुलिस ने एक आरोपी को छोड़कर किसी की भी शिनाख्त परेड नहीं करवाई। इस केस की शुरुआत शहजाद द्वारा मालपुरा थाने में दर्ज करवाई गई रिपोर्ट से हुई थी। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि एक समुदाय विशेष के लोगों ने उसके भाई मोहम्मद सलीम और चाचा मोहम्मद अली की हत्या कर दी।
इस मामले में जांच की जिम्मेदारी तीन अधिकारियों ने संभाली थी, लेकिन सभी की जांच पर सवाल उठे।
1. जगदीश सिंह, तत्कालीन सब इंस्पेक्टर, मालपुरा थाना
2. भूप सिंह तंवर, सीईआई, सीआईडी सीबी
3. पीसी भास्कर, सीईआई, सीआईडी सीबी
कोर्ट ने मंगलवार को जिन 13 आरोपियों को बरी किया, उनके नाम हैं: रामस्वरूप, छोटू बैरवा, किशनलाल गुर्जर, रत्नलाल, किस्तुरिया, कुबड़िया उर्फ रामकिशोर, सत्या उर्फ सत्यनारायण, सुखपाल गुर्जर, पतराज उर्फ बछराज, किशन गुर्जर, देवनारायण उर्फ देवकरण, श्योजी गुर्जर और हीरालाल।
पीड़ित पक्ष के वकील पुरुषोत्तम बनवाड़ा ने बताया कि वर्ष 2000 में मालपुरा में दो समुदायों के बीच दंगा हुआ था। इसमें एक पक्ष से हरिराम और कैलाश माली की मौत हुई थी, जबकि दूसरे पक्ष से चार लोगों की जान गई थी।
घटना के बाद दोनों पक्षों की ओर से मामले दर्ज कराए गए थे। इस केस में कुल 22 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें से 7 आरोपी वर्ष 2016 में ही हाईकोर्ट से बरी हो गए थे। एक आरोपी की मौत हो चुकी है, जबकि एक नाबालिग आरोपी का मामला जुवेनाइल बोर्ड में विचाराधीन है। अब 13 आरोपियों के खिलाफ केस चल रहा था, जिनके ऊपर से आज कोर्ट ने सभी आरोप हटा दिए।