नई दिल्ली (राघव): पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर कायराना हमला करने वाले पाकिस्तान पोषित आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को अमेरिका ने एक विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया है।अमेरिका के साथ संबंधों को सुधारने का दावा कर रहे पाकिस्तान की सरकार को यह करारा झटका है जबकि टीआरएफ की गतिविधियों को लेकर वैश्विक समुदाय को सतर्क करने में जटी भारतीय कूटनीति की सफलता है। अमेरिका के इस फैसले के बाद भारत अब दुनिया के कुछ अन्य देशों की तरफ से भी टीआरएफ को आतंकवादी संगठन घोषित कराने की कोशिश में है।
इसके बाद इस संगठन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की तरफ से प्रतिबंध लगाने का काम आसान हो जाएगा। भारत ने अमेरिकी फैसला का स्वागत किया है और खास तौर पर अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो को धन्यवाद कहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने गुरुवार को एक बयान जारी कर टीआरएफ को लेकर अपने विभाग के फैसले की जानकारी दी। रुबियो ने अपने बयान में कहा, “टीआरएफ को आतंकवादी संगठन घोषित करना ट्रंप प्रशासन की राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और पहलगाम हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।” उन्होंने इस कदम कोक भारत के साथ अमेरिका के रणनीतिक सहयोग का प्रतीक बताया है।
यह कदम भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को वैश्विक समर्थन और पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग ने टीआरएफ को लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का मुखौटा संगठन करार दिया। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे भारत-अमेरिका के आतंकवाद विरोधी सहयोग की मजबूत पुष्टि बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता की नीति के तहत यह एक महत्वपूर्ण कदम है।” भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत अमेरिका को टीआरएफ और पाकिस्तान के संबंधों के सबूत सौंपे थे, जिसके बाद यह कार्रवाई हुई।
बताते चलें की 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में आतंकवादियों ने हमला कर 26 भारतीय नागरिकों की हत्या कर दी थी। इस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत ने पाकिस्तान के नौ शहरों में स्थित आतंकवादी संगठनों के ठिकानों पर हमला किया था। भारत ने 5 जनवरी 2023 को टीआरएफ को गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आतंकी संगठन घोषित किया था। एलईटी ने पाकिस्तान सेना के सहयोग से टीआरएफ की स्थापना 2019 में की थी। इसके कुछ समय पहले ही भारत सरकार ने जम्मू व कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का फैसला किया था।
भारतीय खुफिया एजेंसियों का कहना है कि टीआरएफ में हाइब्रिड आतंकियों की भर्ती की जाती है जो सामान्य नागरिकों की तरह दिखते हैं लेकिन गुप्त रूप से आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं। इन आतंकवादियों को पाकिस्तान सेना की तरफ से विशेष तौर पर प्रशिक्षण दिया जाता है। टीआरएफ कश्मीर में अल्पसंख्यकों, सुरक्षा बलों और गैर-कश्मीरी नागरिकों को निशाना बनाते हैं।
बहरहाल, अमेरिकी प्रतिबंध के लागू होने के बाद टीआरएफ की राह आगे मुश्किल होगी। इस पर एफएटीएफ (फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स) भी कार्रवाई करेगा ताकि इसके वित्तीय नेटवर्क को बंद किया जा सके। पाकिस्तान सरकार पर ऐसा करने के लिए दबाव बनाया जा सकेगा। पाकिस्तान सरकार को इसके खातों को बंद करने और फंडिंग को रोकने में मदद करनी होगी। इससे जुड़े सदस्यों को विदेश यात्रा करना बंद हो सकता है। वैश्विक संगठन इसकी तमाम गतिविधियों पर नजर रख सकेंगी।