ढाका (राघव): उच्च न्यायालय ने आज इस्कॉन के पूर्व नेता चंदन कुमार धर उर्फ चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के एक मामले में जमानत दे दी। जस्टिस मोहम्मद अताउर रहमान और जस्टिस मोहम्मद अली रजा की पीठ ने चिन्मय द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया।
चिन्मय के वकील प्रोलाद देब नाथ ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद उनके जेल से रिहा होने की उम्मीद है, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट का अपीलीय डिवीजन हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाता। 23 अप्रैल को चिन्मय के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने उच्च न्यायालय की पीठ से अपने मुवक्किल को जमानत देने की प्रार्थना करते हुए कहा कि चिन्मय बीमार है और बिना सुनवाई के जेल में कष्ट झेल रहा है।
31 अक्टूबर 2024 को चटगांव के मोहोरा वार्ड बीएनपी के पूर्व महासचिव फिरोज खान ने कोतवाली पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया था, जिसमें चिन्मय और 18 अन्य पर बंदरगाह शहर के न्यू मार्केट इलाके में 25 अक्टूबर को हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया था। 26 नवंबर 2024 को चटगांव की एक अदालत ने चिन्मय को जेल भेज दिया था और राजधानी ढाका में उनकी गिरफ्तारी के बाद चिन्मय की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। इसके बाद 11 दिसंबर 2024 को इसी अदालत ने मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
इसके बाद 2 जनवरी 2025 को चटगांव की निचली अदालत द्वारा उनकी याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में जमानत के लिए आवेदन किया था। जनवरी में सुनवाई के दौरान दास के बचाव पक्ष ने तर्क दिया था कि वह मातृभूमि के प्रति गहरा सम्मान रखते हैं और वह देशद्रोही नहीं हैं। इन तर्कों के बावजूद, अदालत ने जमानत याचिका को खारिज कर दी थी।फरवरी में, बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने सरकार से यह बताने के लिए कहा था कि दास को जमानत क्यों नहीं दी जानी चाहिए।