नई दिल्ली (नेहा)- दीपावली का पांच दिवसीय महापर्व भाई दूज के साथ पूरा होता है, जो भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर की रात 8:16 बजे से शुरू होकर 23 अक्टूबर की रात 10:46 बजे समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार भाई दूज का पर्व 23 अक्टूबर को मनाया जाना शास्त्र सम्मत होगा। तिलक करने का शुभ समय दोपहर 1:13 बजे से 3:28 बजे तक रहेगा। इस समय बहनें अपने भाई का तिलक कर सकती हैं, जिससे शास्त्रों के अनुसार विशेष फल मिलता है।
पौराणिक कथा और पर्व का महत्व
कहानी के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुना के घर कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मिलने आए। यमुना ने उनका स्वागत स्वादिष्ट भोजन और तिलक से किया। प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान दिया कि जो भाई इस दिन तिलक करवाएगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा और वह लंबी आयु पाएगा। इस तरह यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाता है।
भाई दूज पर तिलक कैसे करें
शुभ मुहूर्त में चावल से चौक बनाएं। भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर बिठाएं। माथे पर रोली या चंदन का तिलक लगाएं और अक्षत चढ़ाएं। भाई के दाहिने हाथ में कलावा बांधें, उन्हें मिठाई खिलाएं और दीपक जलाकर आरती करें। अंत में बहन भाई के पैर छूकर आशीर्वाद लें और उपहार दें।