नई दिल्ली (नेहा): अदालती मामलों और सतर्कता जांच से संबंधित मामलों में अधिकारी लापरवाही कर रहे हैं, सरकार को समय पर रिपोर्ट नहीं मिल पा रही हैं। हाल ही में हुई दिल्ली सरकार की समीक्षा बैठक में यह मुद्दा उठा कि रोहिणी में न्यायिक अधिकारियों के लिए बने आवासीय परिसर के निर्माण से संबंधित शिकायत व अन्य मामलों की जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई है।
रोहिणी में न्यायिक अधिकारियों के लिए बने आवासीय परिसर को आप सरकार के समय ही करीब एक साल पहले तोड़ दिया गया था, उसी समय सतर्कता जांच के आदेश भी दिए थे, मगर रिपोर्ट अब तक तैयार नहीं हाे सकी है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है।
वहीं बारापुला फेज तीन एलिवेटेड कॉरिडोर में कंपनी को भुगतान मामले में सतर्कता जांच रिपोर्ट अभी तैयार नहीं हुई है। इसके लिए भी करीब दो माह पहले जांच के आदेश दिए गए हैं। कुछ अन्य मामलों में भी सरकार ने निर्देश दिए हैं।
सरकार ने अदालती और सतर्कता मामलों में लापरवाही करने वाले अधिकारियों को चेतावनी दी है कि अगर भविष्य में कोई और लापरवाही देखी गई तो अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी। उनसे समय पर रिपोर्ट जमा करने और कानूनी मामलों में समय दाखिल देने को कहा है।
यहां बता दें कि सरकार के सबसे महत्वपूर्ण विभागों में सतर्कता निदेशालय और पूर्व सरकार के समय के अदालती मामलों को देखते हुए भी विधि विभाग शामिल है। विधि विभाग से दिल्ली सरकार के अलग-अलग तरह के ऐसे कोर्ट केस से संबंधित राय मांगी जाती हैं, जिसमें अवमानना याचिकाएं भी शामिल हैं।
सूत्रों की मानें तो ऐसे मामलों से जुड़ी फाइलें भी अलग-अलग विभाग से कोर्ट की सुनवाई से सिर्फ एक या दो दिन पहले कानूनी राय लेने के लिए मिल रही हैं।
इसके अलावा यह भी बताया गया कि विभाग इस बहाने से अलग-अलग कोर्ट में सुनवाई टालने की मांग कर रहे हैं कि विधि विभाग की कानूनी राय का इंतजार है। इसे देखते हुए सरकार ने निर्देश दिया है कि कानूनी राय के लिए कोर्ट मामलों से संबंधित फाइलें कोर्ट की सुनवाई से एक हफ्ते पहले विधि विभाग को मिल जानी चाहिए। अधिकारियों ने कहा कि यह भी तय किया गया है कि लंबे नोट्स भेजने के बजाय खास सवालों के जरिए कानूनी राय मांगी जानी चाहिए।


