नई दिल्ली (नेहा): दिल्ली सरकार द्वारा जारी “जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण वार्षिक रिपोर्ट – 2024” ने राजधानी में जन्म, मृत्यु और स्वास्थ्य सूचकांकों से जुड़े कई अहम तथ्य उजागर किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में दिल्ली का लिंगानुपात घटकर 1,000 पुरुषों पर 920 महिलाएं रह गया, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 922 था। आंकड़े बताते हैं कि बेटियों के जन्म को प्रोत्साहित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बावजूद, महिलाओं की संख्या अब भी पुरुषों से कम है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 2024 में दिल्ली की जन्म दर 14 प्रति हजार जनसंख्या रही, जो 2023 के 14.66 के मुकाबले थोड़ी कम है। मृत्यु दर हल्की बढ़त के साथ 6.37 प्रति हजार दर्ज की गई, जबकि पिछले वर्ष यह 6.16 थी।
स्वास्थ्य सूचकांकों में अच्छी खबर यह रही कि शिशु और मातृ मृत्यु दर दोनों में मामूली गिरावट आई। शिशु मृत्यु दर 23.61 से घटकर 22.40 प्रति हजार जीवित जन्म हो गई। मातृ मृत्यु दर भी 0.45 से घटकर 0.44 प्रति हजार जीवित जन्म पर पहुंच गई। पूरे वर्ष के दौरान दिल्ली में 3,06,459 जन्म दर्ज हुए। इनमें 1,59,549 (52.06%) लड़के, 1,46,832 (47.91%) लड़कियां और 78 (0.03%) “अन्य” श्रेणी के शिशु थे, जिनमें ट्रांसजेंडर या अस्पष्ट लिंग पहचान वाले नवजात शामिल हैं। औसतन हर दिन लगभग 837 बच्चों का जन्म हुआ।
अस्पतालों में जन्म देने वाली माताओं की संख्या भी अधिक रही। कुल 2,94,464 जन्म संस्थागत रूप से हुए, जिनमें से 1,91,727 (65.11%) सरकारी अस्पतालों में दर्ज किए गए. माताओं की आयु के विश्लेषण से पता चला कि अधिकतर pregnancy 25 से 29 वर्ष की आयु वाली महिलाओं में हुए, जिनका प्रतिशत 36.98 रहा। इसके बाद 20 से 24 वर्ष आयु वर्ग में 27.11% और 30 से 34 वर्ष आयु वर्ग में 24.57% प्रसव दर्ज हुए. 19 वर्ष या उससे कम उम्र में मातृत्व के मामले 2.57% पाए गए।
रिपोर्ट के अनुसार, लिंगानुपात किसी निश्चित अवधि में हर 1,000 पुरुष जन्मों पर महिला जन्मों की संख्या को दर्शाता है. अंतरराष्ट्रीय मानक के मुताबिक 105 पुरुष प्रति 100 महिलाएं सामान्य स्तर माना जाता है, लेकिन दिल्ली में बेटियों का अनुपात अब भी इस औसत से पीछे है |