बंगाल (पायल): पश्चिम बंगाल में चल रहे विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SIR) अभियान के दौरान फर्जी, मृत और डुप्लीकेट मतदाताओं पर लगाम लगाने के लिए चुनाव आयोग ने बड़ा कदम उठाया है। जिस दौरान एक वरिष्ठ चुनाव अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि आयोग अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence – AI) तकनीक का इस्तेमाल करेगा।
अधिकारी के अनुसार, AI सिस्टम मतदाता डेटाबेस में मौजूद लाखों तस्वीरों का विश्लेषण करेगा और चेहरों की समानता (facial recognition) के आधार पर एक ही व्यक्ति के एक से अधिक जगहों पर पंजीकृत होने की पहचान करेगा। इससे एक ही फोटो वाले कई मतदाता प्रवेश (डुप्लीकेट वोटर) का पता आसानी से चल जाएगा।
अधिकारी ने बताया कि हाल के महीनों में प्रवासी मजदूरों की तस्वीरों के गलत इस्तेमाल और एक ही व्यक्ति के कई जगहों पर नाम जुड़ने की शिकायतें काफी बढ़ी हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी हाल ही में दावा किया था कि एक ही नाम और फोटो से कई-कई वोट डाले जा रहे हैं। इन शिकायतों को देखते हुए AI तकनीक को शामिल करने का फैसला लिया गया है।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि AI के बावजूद बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) की जिम्मेदारी कम नहीं होगी। BLO को घर-घर जाकर मतदाताओं की नई तस्वीरें लेनी होंगी। बूथ लेवल एजेंट (BLA) द्वारा फॉर्म जमा करने पर भी BLO को व्यक्तिगत रूप से घर जाकर हस्ताक्षर और विवरण का सत्यापन करना अनिवार्य होगा। मतदाता से रिसीविंग भी लेनी होगी।
आयोग ने सख्त जवाबदेही के नियम तय किए हैं। अगर गणना और फॉर्म सत्यापन के बाद भी कोई फर्जी या मृत मतदाता सूची में पाया जाता है, तो संबंधित पोलिंग बूथ के BLO को सीधे जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
SIR अभियान के कारण BLO पर भारी कार्यभार पड़ने से देश के कई हिस्सों में असंतोष है। केरल के कन्नूर जिले के पय्यान्नूर में BLO अनीश जॉर्ज ने इसी दबाव के चलते आत्महत्या कर ली। इसके बाद इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केरल में SIR प्रक्रिया को तत्काल रोकने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि अधिकारी इस अभियान के भारी दबाव को झेलने में असमर्थ हो रहे हैं।


