नई दिल्ली (नेहा): राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर पूरे देश में श्रद्धांजलि सभाओं व विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर दिल्ली के राजघाट स्थित गांधी दर्शन संग्रहालय विशेष आकर्षण का केंद्र है, जहां बापू के जीवन व संघर्ष से जुड़ी अमूल्य धरोहरें सुरक्षित रखी गई हैं। गांधीजी ने कहा था “मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।” संग्रहालय में प्रदर्शित प्रत्येक वस्तु इसी संदेश को जीवंत करती है और आगंतुकों को सत्य, अहिंसा व सादगी के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
गांधीजी का जीवन-दर्शन और संघर्ष: संग्रहालय में गांधीजी की संपूर्ण जीवन यात्रा को चरणबद्ध ढंग से दर्शाया गया है। जहां 1869 में पोरबंदर, गुजरात में जन्म से लेकर 1888 में इंग्लैंड जाकर कानून की पढ़ाई करने और 1891 में बैरिस्टर बनने के साथ उनकी मार्कशीट भी प्रदर्शित की गई है। सन 1893 में दक्षिण अफ्रीका में वकालत के दौरान नस्लभेद का सामना करना पड़ा, जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी।
1906 में सत्याग्रह की शुरुआत और 1909 में हिंद स्वराज की रचना। 1915 में भारत वापसी और 1917 का चंपारण सत्याग्रह, 1920-22 असहयोग आंदोलन और 1930 का ऐतिहासिक दांडी मार्च और 1948 में राष्ट्र के प्रति बलिदान की इन घटनाओं को संग्रहालय में दुर्लभ तस्वीरों, दस्तावेजों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।