मुंबई (राघव): भारत में सोने की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं, इसके बावजूद लोगों की खरीदारी में कोई कमी नहीं आई है। देश में सालाना सोने की खपत 800 टन के पार पहुंच गई है, जो चीन की तुलना में दोगुनी है। वहीं चीन में 2013 के मुकाबले अब तक खपत में 49% की गिरावट आई है। इसकी वजह सोने के ऊंचे दाम और चीन की कमजोर होती अर्थव्यवस्था मानी जा रही है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (चीन) के रिसर्च हेड रे जिया के मुताबिक, चीन में सोने की मांग में गिरावट आई है लेकिन ज्वेलरी की वैल्यू के हिसाब से खरीदारी बढ़ी है। साल 2001 से 2013 के बीच चीन में सोने की खपत 362% बढ़ी थी लेकिन 2013 के बाद से इसमें लगातार गिरावट हो रही है। 2013 में चीन में सोने की खपत 939 टन थी, जो 2024 में घटकर सिर्फ 479 टन रह गई है।
चीन में जहां सोने की खपत घट रही है, वहीं भारत में कीमतें बढ़ने के बावजूद इसकी मांग तेज़ी से बढ़ रही है। साल 2024 में भारत में सोने की खपत 800 टन के पार पहुंच गई। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, 2025 की पहली तिमाही में चीन के ग्राहकों ने करीब 1 लाख करोड़ रुपये की सोने की ज्वेलरी खरीदी। यह आंकड़ा पिछली तिमाही से 29% ज्यादा है लेकिन 2024 की पहली तिमाही से कम।
भारत में 19 जुलाई तक सोने की कीमतों में 28% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। महंगे दाम और मौसमी सुस्ती के कारण ज्वेलरी की बिक्री घटी है। हालांकि निवेश के रूप में सोने की मांग बढ़ी है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में लिस्टेड ज्वेलरी कंपनियों की आय में 10% की वृद्धि हुई है, और गोल्ड ईटीएफ में भी निवेश बढ़ता जा रहा है।