नई दिल्ली (नेहा): आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार (8 जुलाई) को कहा कि दिल्ली को आज आम आदमी पार्टी याद आ रही है। बीजेपी की सरकार ने चार महीनों में बेड़ा गर्क कर गिया। एक के बाद एक मोहल्ला क्लिनिक बंद करते जा रहे हैं। अस्पतालों में हमने दवाइयां फ्री की थीं उसे बंद कर दी। फ्री टेस्ट बंद कर दिए. दिल्ली का बुरा हाल हो गया है । सारी सड़कें टूट गई हैं. चारों तरफ गंदगी फैल गई है। मोहाली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “छह छह घंटे के पावर कट लगने लगे हैं। पिछले सात सालों से दिल्ली में एक मिनट का पावर कट नहीं लगा था। अभी बारिशों का दिन हैं, अभी भी पावर कट लग रहे है। इनकी नीयत खराब है. हर मंत्री ने अपनी दुकान खोल ली है। उन्हें पैसा कमाना है, उन्हें सुधार करने से कोई मतलब नहीं है।”
इसके आगे उन्होंने कहा, “जितने दिन हमारी सरकार रही हमें काम नहीं करने दिया। इसके बावजूद हमने काम किया. इस पर तो मुझे लगता है कि गवर्नेंस के ऊपर और एडमिनिस्ट्रेशन के अंदर तो मुझे नोबेल प्राइज मिलना चाहिए कि एलजी के रहते मैंने दिल्ली में इतने सारे काम कर दिए। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 2014 में जून में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे। आठ-आठ घंटे रात में दिल्ली में बिजली जाया करती थी। हम 2013 का चुनाव बिजली आंदोलन से जीते थे। 2013 में जब पहली बार सरकार बनी, उसके पहले पूरी दिल्ली में घूम घूमकर मैंने 15 दिनों का अनशन किया था।
अरविंद केजरीवाल ने कहा, “हजारों रुपये के लोगों के बिजली बिल आ रहे थे। लोगों से बिजली के बिल नहीं भरे जा रहे थे। खंभे पर चढ़कर मैंने जो ताड़ जोड़े थे, आज भी वो तस्वीर लोगों को याद है। बिजली लोगों के पहुंच के परे थी। पानी नहीं आता था बिल आते थे। 15-20 हजार के बिल आते थे। ये सारा अनुभव लेकर हम सरकार में गए थे।”
आप के राष्ट्रीय संयोजक ने आगे कहा, “आम आदमी को क्या चाहिए. बिजली चाहिए, पानी चाहिए, बच्चों को अच्छी पढ़ाई मिल जाए। घर में कोई बीमार हो तो उसका अच्छा इलाज मिल जाए। हमने तय किया कि 200 यूनिट बिजली हर परिवार को मुफ्त देंगे। 20 हजार लीटर पानी हर परिवार को मुफ्त देंगे। हमने तय किया कि स्कूल और अस्पताल ठीक करेंगे।” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम तो छोटे लोग हैं। जितना लोगों ने मौका दिया उतना काम किया। लेकिन हमने हवा उल्टी कर दी। जो पहले कहा करते थे कि स्कूल प्राइवेट होने चाहिए, वो आज भी स्कूलों की बात कर रहे हैं। पहले कहते थे अस्पताल प्राइवेटाइज होने चाहिए, वो भी आज अस्पतालों की बात करने लगे हैं।