नई दिल्ली (राघव): इस बार मानसून ने अपने आगमन की तय तारीख से पहले दस्तक देकर देशभर में बड़ी राहत दी है। दक्षिण-पश्चिम मानसून ने न केवल आठ दिन पहले देश में प्रवेश किया, बल्कि 9 दिन पहले ही पूरे भारत को अपने प्रभाव में ले लिया। आमतौर पर मानसून 8 जुलाई तक पूरे देश को ढकता है, लेकिन इस बार यह 30 जून तक ही पूरी तरह फैल गया, जिससे जून में औसतन 7% अधिक वर्षा दर्ज की गई है—जो पिछले चार सालों में सबसे अधिक है।
समय से पहले आए मानसून ने खेती-किसानी के लिए अच्छा माहौल बना दिया है। खासकर खरीफ की फसलों की बुवाई में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है। 20 जून तक देश में 137.84 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई हो चुकी है, जो पिछले साल की तुलना में करीब 13 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। धान की बुवाई में भी उल्लेखनीय उछाल आया है और यह 58% बढ़कर 13.22 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है।
IMD की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से सक्रिय तीन बड़ी मौसमी प्रणालियों के चलते अगले 14 दिनों में उत्तर, पूर्व और मध्य भारत में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना है। खासकर राजस्थान, यूपी, हिमाचल, एमपी, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड और बंगाल में स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है। इस बीच 22 राज्यों के लिए भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है और 27 जून से 3 जुलाई तक कई जगहों पर रेड अलर्ट की स्थिति बनी हुई है।
वहीँ उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश ने कहर बरपा दिया है। यमुनोत्री हाईवे पर कई स्थानों पर मलबा और जलभराव के कारण रास्ते बंद हो गए हैं, जिससे जानकीचट्टी, फूलचट्टी, खरसाली, राना चट्टी और स्याना चट्टी जैसे क्षेत्रों में करीब 1000 श्रद्धालु फंस गए हैं। एहतियात के तौर पर चारधाम यात्रा को 24 घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया है और यात्रियों को हरिद्वार, ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग और सोनप्रयाग में ही रोक दिया गया है।