मुंबई (नेहा): विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अगस्त में घरेलू पूँजी बाजार से 11,792 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की।
यह लगातार तीसरा महीना है जब एफपीआई ने भारतीय पूँजी बाजार से पैसे निकाले हैं। केंद्रीय डिपॉजिटरी सेवा (सीडीएसएल) के आँकड़ों के अनुसार, अगस्त में उन्होंने शुद्ध रूप से 20,975 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची। हाइब्रिड में भी उन्होंने 156.42 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की। वहीं, डेट और म्युचुअल फंड में एफपीआई लिवाल बने हुये हैं। डेट में उन्होंने 7,828 करोड़ रुपये और म्यूचुअल फंड में 1,511 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया।
इससे पहले एफपीआई ने शुद्ध रूप से जुलाई में 5,261 करोड़ रुपये और जून में 7,769 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी। इस साल मार्च और मई को छोड़कर अन्य सभी महीनों में उन्होंने बाजार से पैसे निकाले हैं। कुल मिलाकर साल 2025 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय पूँजी बाजार से 63,196 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है।
पिछले छह सप्ताह में घरेलू संस्थागत निवेशकों की भारी खरीददारी के बावजूद भारतीय शेयर बाजारों का प्रदर्शन कमतर रहा है। अगस्त के पहले पखवाड़े में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शेयर बाजारों में 24,190 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची है लेकिन घरेलू निवेशकों ने 55,790 करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदकर उस असर को समाप्त कर दिया है।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत पर भारी आयात शुल्क लगाने और अमेरिका-भारत के रिश्ते बिगड़ने से बाजार में निवेश धारणा प्रभावित हुई है। इसके साथ ही कंपनियों के तिमाही परिणामों के कमतर रहने से भी निवेशक सतर्क हैं। विदेशी संस्थागत निवेशकों की आईटी सेक्टरों में लगातार बिकवाली से आईटी कंपनियों के शेयर टूट गये।
श्री विजयकुमार ने कहा कि आने वाले समय में अमेरिकी आयात शुल्क पर क्या कार्रवाई होती है इसका असर विदेशी संस्थागत निवेशकों के रुख पर देखा जायेगा। उन्होंने उम्मीद जतायी कि यूक्रेन युद्ध पर बात बनने से भारत को 27 अगस्त से प्रस्तावित अतिरिक्त 25 फीसदी आयात शुल्क का सामना नहीं करना पड़ेगा जिसके लिए आदेश पहले ही जारी किया जा चुका है।