नई दिल्ली (राघव): भारत का मेट्रो नेटवर्क अब सिर्फ एक परिवहन साधन नहीं, बल्कि शहरी जीवन की रीढ़ बन चुका है। 2014 में जहां देश में केवल 5 शहरों में 248 किलोमीटर तक मेट्रो लाइन थी, वहीं मई 2025 तक यह नेटवर्क 23 शहरों में 1,013 किलोमीटर तक पहुंच चुका है। इस तेज रफ्तार विकास ने भारत को दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क बना दिया है।
मेट्रो बना करोड़ों लोगों का भरोसेमंद सफर
मेट्रो के विस्तार का असर यात्री संख्या पर साफ नजर आ रहा है:
.2013-14: औसतन 28 लाख दैनिक यात्री
.2025: बढ़कर 1.12 करोड़ प्रतिदिन
यह न सिर्फ सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को मजबूत कर रहा है, बल्कि ट्रैफिक जाम, कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण जैसी समस्याओं को भी कम करने में सहायक हो रहा है।
निर्माण की रफ्तार में ऐतिहासिक बढ़ोतरी:
2014 से पहले: मेट्रो निर्माण की औसत गति थी 0.68 किमी/माह
अब: बढ़कर हो गई है 6 किमी/माह
इसी अवधि में बजट आवंटन भी तेजी से बढ़ा है:
2013-14: ₹5,798 करोड़
2025-26 (अनुमानित): ₹34,807 करोड़
‘मेक इन इंडिया’ ने दिया आत्मनिर्भरता को बढ़ावा
भारत में मेट्रो निर्माण को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत सख्त दिशा-निर्देश लागू किए गए हैं:
75% मेट्रो कोच और 25% उपकरण भारत में बनाना अनिवार्य, BEML अब तक 2,000 से अधिक मेट्रो कोच देश में ही तैयार कर चुका है।