नई दिल्ली (नेहा): ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से अग्नि-5 मिसाइल ने उड़ान भरी। इस परीक्षण को नाम दिया गया – मिशन दिव्यास्त्र। इस दौरान अग्नि-5 ने केवल लंबी दूरी तय नहीं की, बल्कि दुनिया को हैरान कर देने वाला करतब भी दिखाया। मिसाइल ने अपनी उड़ान के बीच में 90 डिग्री का शार्प टर्न लिया, जो किसी बैलिस्टिक मिसाइल के लिए असंभव माना जाता था। यह केवल एक मोड़ नहीं था, बल्कि भारत की तकनीकी शक्ति का ऐसा प्रदर्शन था जिसने पूरी दुनिया को चौंका कर रख दिया।
अग्नि-5 भारत की सबसे लंबी दूरी की इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जिसकी रेंज 5000-8000 किमी तक है। तीन चरणों वाली ठोस ईंधन प्रणाली और मैक 24 (29,400 किमी/घंटा) की गति इसे और भी खतरनाक बनाती है। मिशन दिव्यास्त्र में अग्नि-5 ने MIRV तकनीक का भी सफल प्रदर्शन किया था। इसका तकनीक का मतलब है कि यह मिसाइल एक साथ कई न्यूक्लियर वॉरहेड्स एक साथ ले जाकर अलग-अलग लक्ष्यों को भेद सकती है। इस क्षमता के साथ भारत उन चुनिंदा देशों की कतार में आ खड़ा हुआ है, जिनमें अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन शामिल हैं।
इस परीक्षण की खासियत सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि इसके पीछे खड़ी महिला शक्ति भी रही। प्रोजेक्ट डायरेक्टर शंकरी चंद्रशेखरन और प्रोग्राम डायरेक्टर शीला रानी जैसी महिला वैज्ञानिकों के नेतृत्व में यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई। DRDO ने स्वदेशी एवियोनिक्स, सटीक सेंसर और हल्के कंपोजिट मटेरियल का इस्तेमाल करके अग्नि-5 को और सक्षम बनाया। इससे यह न केवल मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकती है, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता और वैज्ञानिक क्षमता का भी शानदार प्रदर्शन करती है।
अग्नि-5 का यह सफल परीक्षण भारत की न्यूक्लियर डिटरेंस को और मजबूत करता है, खासकर चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के खिलाफ। लेकिन यह बस शुरुआत है। जल्द ही अग्नि-6 का परीक्षण होगा, जिसकी रेंज 12,000 किमी तक होगी और जो 10-12 वॉरहेड्स ले जाने में सक्षम होगी। सिर्फ यही नहीं, भारत पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली K-सीरीज मिसाइल और ASAT (एंटी-सैटेलाइट) हथियारों की ओर भी बढ़ रहा है। यह साफ है कि भारत केवल रक्षा नहीं, बल्कि रणनीतिक मजबूती और आत्मनिर्भरता की दिशा में अभूतपूर्व छलांग लगा चुका है।