नई दिल्ली (नेहा): भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्यागपत्र भेजा और यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया। इस खबर पर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने दुख व्यक्त किया है। राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर अपनी गहरी निराशा व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि जब वह दोबारा राज्यसभा जाएंगे और जगदीप धनखड़ को सभापति की कुर्सी पर नहीं देखेंगे तो उन्हें उनकी कमी बहुत खलेगी। सिब्बल ने धनखड़ को एक देशभक्त बताते हुए सोमवार को कहा कि चूंकि उन्होंने अपने इस्तीफे के लिए स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, इसलिए इसे स्वीकार किया जाना चाहिए और इस पर आगे कोई अटकलें नहीं लगानी चाहिए।
कपिल सिब्बल ने अपने व्यक्तिगत संबंधों को याद किया। उन्होंने कहा, “मैं व्यक्तिगत रूप से खुश नहीं हूं कि जब मैं संसद जाऊंगा तो उनको नहीं देखूंगा। मेरे उनके साथ कई सालों से संबंध हैं और बहुत अच्छे संबंध हैं, पारिवारिक संबंध हैं। जहां-जहां भी हमारे परिवार के फंक्शन होते थे, धनखड़ साहब हमेशा आते थे और मेरे पिताजी के साथ उनके संबंध रहे।” सिब्बल ने यह भी बताया कि उन्होंने धनखड़ के साथ कई केस किए, चाहे वह उनके साथ हों या उनके खिलाफ, लेकिन उनकी व्यक्तिगत इक्वेशन हमेशा बहुत अच्छी रही।
सिब्बल ने धनखड़ के व्यक्तित्व की तारीफ करते हुए कहा, “मैं उन्हें मिस करूंगा। उनका एक व्यू पॉइंट हमेशा रहता था, जो अक्सर पब्लिक में बिना संकोच के बोल देते थे, जो उनकी खासियत थी। उनको कुछ गलत लगता था वो भी बोल देते थे।” सिब्बल ने याद किया कि धनखड़ हमेशा सदन में कहते थे कि विपक्ष और सत्ता पक्ष को एकमत से आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि सवाल देश का होता है, हालांकि सबका नजरिया अलग-अलग होता है और कई बार साथ नहीं चल पाते।
कपिल सिब्बल ने इस बात पर जोर दिया कि जगदीप धनखड़ के मन में कभी कोई मैल नहीं रहा। उन्होंने बताया कि जब भी उन्हें बोलने के लिए अतिरिक्त समय चाहिए होता था, तो धनखड़ ने हमेशा उनके चैंबर में जाकर बात करने पर उनका साथ दिया और उन्हें अधिक समय दिया। सिब्बल ने कहा कि उनकी विचारधारा अलग होने के बावजूद उनके संबंध हमेशा अच्छे रहे, और भले ही कभी-कभी मतभेद होते थे, लेकिन कड़वाहट कभी नहीं आई। उन्होंने फिर दुख व्यक्त किया कि अगली बार जब वह राज्यसभा जाएंगे तो धनखड़ उस कुर्सी पर नहीं होंगे।
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर चल रही अटकलों पर सिब्बल ने स्पष्ट रूप से कहा कि धनखड़ ने अपने त्यागपत्र में साफ लिखा है कि वह स्वास्थ्य कारणों से पद छोड़ रहे हैं, इसलिए यह स्वीकार करना चाहिए कि उन्होंने यह फैसला किसी ठोस वजह से ही लिया होगा। सिब्बल ने सभी से इस मामले में किसी भी तरह की अटकलें न लगाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “ये उनकी खूबियां थीं। वह एक राष्ट्रवादी और देशभक्त हैं। वे चाहते थे कि विपक्ष और सरकार मिलकर दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए काम करें।”