नई दिल्ली (नेहा): नॉर्थ कोरिया में विदेशी टीवी शोज और फिल्में देखने या लोगों तक पहुंचाने वालों को फांसी दी जा रही है। इसमें सबसे ज्यादा साउथ कोरियाई ड्रामे शामिल हैं, जिन्हें लोग गुपचुप तरीके से देखते हैं। संयुक्त राष्ट्र की नई मानवाधिकार रिपोर्ट ने बताया कि सरकार ने हाल के वर्षों में निजी स्वतंत्रताओं पर जबरदस्त रोक लगाई है। यह रिपोर्ट 14 पन्नों की है इसमें 300 से ज्यादा ऐसे गवाहों और पीड़ितों से बातचीत की गई है जो उत्तर कोरिया से भागकर बाहर निकले। इसमें साफ कहा गया है कि निगरानी सिस्टम अब और भी सख्त हो गया है, नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है और सजाएं पहले से कहीं ज्यादा कठोर हो चुकी हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने इसे दुनिया का सबसे प्रतिबंधित देश बताया है। रिपोर्ट के अनुसार, 2015 के बाद से वहां के नागरिकों की जिंदगी के हर हिस्से पर नियंत्रण बढ़ा दिया गया है। UN के नॉर्थ कोरिया मानवाधिकार कार्यालय के प्रमुख जेम्स हीनन ने बताया कि कोविड-19 के समय से सामान्य अपराध और राजनीतिक अपराध दोनों के लिए फांसी की सजाओं की संख्या बढ़ गई है।
कई लोगों को सिर्फ विदेशी टीवी सीरीज खासकर कोरियाई ड्रामे बांटने के लिए मौत की सजा दी गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों तक को जबरन मजदूरी में झोंक दिया जाता है। इन्हें शॉक ब्रिगेड नाम के समूहों में खदानों और निर्माण कार्य जैसे खतरनाक कामों में लगाया जाता है। ये ज्यादातर गरीब परिवार के बच्चे होते हैं क्योंकि अमीर रिश्वत देकर अपने बच्चों को बचा लेते हैं। उत्तर कोरिया ने संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है और कहा है कि वह इस तरह के आरोपों को मान्यता नहीं देते।