नई दिल्ली (राघव): दिल्ली सरकार के बाद अब एलजी वीके सक्सेना ने भी उम्र पूरी कर चुकी गाड़ियों को ईंधन न देने व उन्हें जब्त करने वाले अभियान को अव्यवहारिक करार दिया है। एलजी ने सीएम रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर इस संदर्भ में दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने का भी सुझाव दिया है।
एलजी ने साफ कहा है कि दिल्ली इस तरह के कठोर प्रतिबंधों के लिए अभी तैयार नहीं है और यह मध्यम वर्ग के लिए भावनात्मक और आर्थिक रूप से भारी पड़ सकता है। एलजी ने यह पत्र सीएक्यूएम की ओर से जारी उस सर्कुलर के बाद लिखा है, जिसमें पुरानी गाड़ियों को जब्त करके उन्हें स्क्रैपिंग के लिए भेजने के निर्देश दिए गए थे। एलजी ने साफ किया है कि पर्यावरण मंत्री की ओर से खुद सीएक्यूएम प्रमुख को पत्र लिखकर इन निर्देशों में तकनीकी कमियां और एनसीआर में नीति के असमान लागू होने की समस्याएं उजागर की गई हैं।
एलजी ने उम्र पूरी कर चुके (ईओएल) गाडि़यों को लेकर बनी नीति की फिर से समीक्षा और संतुलन की मांग भी की है। उन्होंने कहा कि इसे लेकर आम लोगों, विशेषज्ञों और जनप्रतिनिधियों से बड़ी संख्या में सुझाव-शिकायतें मिली हैं। लोग चिंता जता रहे हैं कि केवल गाड़ी की उम्र के आधार पर उन्हें बंद अथवा कबाड़ घोषित कर देना न तो व्यावहारिक है और न ही न्यायसंगत।
उन्होंने इस मामले में कानूनी, सामाजिक और पर्यावरणीय पहलुओं को ध्यान में रखकर एक रणनीति तैयार करने की सलाह भी पत्र में एलजी ने बताया है कि पूरा मामला एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर आधारित है, जिनमें 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों को डी-रजिस्टर्ड करने की बात कही गई थी।
एलजी ने पत्र में मध्यम वर्ग की भावनाओं पर भी जोर दिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोग अपनी मेहनत की कमाई से वाहन खरीदते हैं, जो उनके लिए सिर्फ सवारी का साधन नहीं, बल्कि भावनात्मक लगाव का प्रतीक भी है। ऐसे वाहन, जो कम चले हों और उत्सर्जन मानकों का पालन करते हों, उन्हें केवल उम्र के आधार पर स्क्रैप करना अन्यायपूर्ण है। एलजी ने जोर दिया कि नीति में उन वाहनों को टारगेट करना चाहिए जो वास्तव में प्रदूषणकारी और खराब हालत में हों।
एलजी ने यह भी बताया कि दिल्ली एक प्रमुख ट्रांजिट कॉरिडोर का हिस्सा है, जहां उत्तर, पूर्व और पश्चिमी राज्यों को जोड़ने वाले वाहन गुजरते हैं। ऐसे में दूसरे राज्यों में वैध वाहनों को दिल्ली में गैर-कानूनी ठहराना अव्यवहारिक है। उन्होंने कहा कि यह नीति न केवल दिल्ली वासियों, बल्कि ट्रांजिट यात्रियों के लिए भी परेशानी का सबब बन सकती है।
एलजी ने यह भी कहा कि दिल्ली में प्रदूषण को लेकर कई स्तर पर सुधार हो चुके हैं, जैसे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार, आरआरटीएस कारिडोर का विकास, अर्बन एक्सटेंशन रोड, हरियाली अभियान, एंटी-स्माग गन और सड़कों की सफाई जैसी पहले। ऐसे में जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जाए, जिसमें यह बताया जाए कि अब दिल्ली की स्थिति पहले से अलग है।
सीएम को लिखे पत्र में एलजी के सुझाव:
.सीएक्यूएम से निवेदन किया जाए कि वह अपने निर्देशों पर पुनर्विचार करे और पूरी तैयारी होने तक इसे स्थगित किया जाए।
.सड़क परिवहन मंत्रालय को पत्र भेजकर गाड़ियों की स्क्रैपिंग के नियमों की चुनौतियों और अदालती आदेशों की समीक्षा की मांग हो।
.सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जाए, जिसमें हाल के सुधारों और प्रदूषण से जंग में दिल्ली सरकार की नई पहलों की जानकारी दी जाए।
.तीन माह में एक व्यापक प्रदूषण नियंत्रण योजना तैयार की जाए, जिसमें सार्वजनिक परिवहन, सड़कों की धूल, निर्माण कार्य, इलेक्ट्रिक वीकल आदि के लिए नीति की स्पष्ट रूपरेखा हो।
.जन जागरूकता व प्रोत्साहन कार्यक्रम चले ताकि लोग पुरानी गाड़ियों को सीएनजी या इलेक्ट्रिक विकल्प में बदल सकें।