लखनऊ (नेहा): उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को देश की पहली एआई सिटी बनाने की दिशा में सरकार काम कर रही है। भारत सरकार के इंडिया एआई मिशन के तहत उत्तर प्रदेश सरकार को इस काम के लिए 10,732 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इन पैसों को सरकार टेक्निकल इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने समेत युवाओ को AI, डेटा एनालिटिक्स और साइबर सेफ्टी जैसे क्षेत्रों में काम करने के लिए तैयार करने में खर्च करेगी। इस तरह सरकार विजन 2047 के तहत डिजिटल उत्तर प्रदेश की नींव रखेगी।
इस मिशन के तहत लखनऊ में बहुत जल्द हाई-टेक AI आधारित ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम लागू कर दिया जाएगा। AI की मदद से ट्रैफिक कि निगरानी और नियंत्रण बहुत ही स्मार्ट तरीके से हो सकेगा। बता दें कि वाराणसी में यह सिस्टम काफी पहले से लागू है। इसके साथ ही 17 नगर निगमों और गौतम बुद्ध नगर में AI से लैस CCTV, फेसियल रिकग्निशन, नंबर प्लेट ट्रैकिंग और SOS अलर्ट सिस्टम भी लगाए गए हैं। यह तमाम चीजें सीधे 112 हेल्पलाइन नंबर और पुलिस कंट्रोल रूम से लिंक है। इतना ही नहीं लगभग 70 जेलों में Jarvis नाम का AI सिस्टम कैदियों पर हर पल नजर रखे हुए है।
उत्तर प्रदेश सरकार अपनी AI प्रज्ञा योजना के तहत हर महीने 1.5 लाख युवाओं को शिक्षकों, ग्राम प्रधानों, सरकारी कर्मचारियों और किसानों को मशीन लर्निंग, AI, डेटा एनालिटिक्स और साइबर सुरक्षा की ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके अलावा इन्हें सरकार Microsoft, Google, Intel और Guvi जैसी दिग्गज कंपनियों से सर्टिफिकेट्स भी दिलवा रही है। किसानों का AI आधारित स्मार्ट सिंचाई, ड्रोन मैपिंग कीट पहचान और डिजिटल मार्केट जैसी AI टेक्नोलॉजी से परिचय कराया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में AI का इस्तेमाल गवर्नेंस के कामों और स्वास्थ्य सेवाओं में भी तेजी से बढ़ रहा है। अब राजस्व विभाग में सैटेलाइट इमेजिंग और AI एल्गोरिदम की मदद से जमीन का डिजिटल नक्शा बनाया जा रहा है। इससे जमीन के आवंटन से जुड़े विवादों में कमी आई है। इसके अलावा खनन से 25 जिलों में 57 AI आधारित चेक गेट लगाए हैं। यहां अवैध खनन को रोकने के लिए AI की मदद ली जा रही है। फतेहपुर में देश का पहला AI आधारित ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग सेंटर भी खोला गया है, ताकि स्वास्थ्य के क्षेत्र में AI क्रांति लाई जा सके।