नई दिल्ली (राघव): म्यांमार में तख्तापलट के जरिए सत्ता हासिल करने वाली सेना ने गुरुवार को देश से आपातकाल हटा दिया है। यहां पिछले 4 साल से आपातकाल लागू था। राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद सैन्य शासन ने यह घोषणा की है। कमांडर-इन-चीफ और सैन्य जुंटा (सैन्य शासन) नेता मिन आंग ह्लाइंग ने 30 सदस्यीय संघीय सरकार के गठन की भी घोषणा की और अपने सहयोगी न्यो साव को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है।
यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र में गृहयुद्ध की स्थिति बनी हुई है और विद्रोह पनप रहा है। देश में म्यांमार की सेना को अर्थव्यवस्था के पतन और लोकतंत्र समर्थक सशस्त्र समूहों के बढ़ते प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा सैन्य शासन ने दिसंबर में कराने का वादा किया था और म्यांमार के 2008 के संविधान के अनुसार चुनाव कराने से पहले आपातकालीन नियमों को हटाना ज़रूरी है।
ष्ट्र रक्षा और सुरक्षा परिषद ने जनवरी में अपनी बैठक में आपातकाल की स्थिति को 31 जुलाई तक बढ़ाने का निर्णय लिया था। उस समय कहा गया था कि स्वतंत्र और निष्पक्ष आम चुनाव के लिए स्थिरता की जरूरत है। इसके बाद जुलाई में सेना ने एक विधेयक पास किया, जिसमें चुनावी प्रक्रिया में बाधा डालने पर मृत्युदंड सहित अन्य दंड देने का प्रावधान है। उधर, अमेरिका सहित पश्चिमी सरकारों ने सैन्य शासन द्वारा आयोजित चुनाव को अवैध बताया है।
वर्ष 2020 में आंग सान सू की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) ने आम चुनावों में 476 में 396 सीटें जीती, जिसे सेना समर्थित यूनियन सॉलिडेरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी (USDP) ने अस्वीकार कर दिया। चुनाव में धांधली का आरोप लगाया गया, जिसके बाद 1 फरवरी, 2021 को म्यांमार सेना (तत्मादाव) ने तख्तापलट कर दिया। सेना ने नवनिर्वाचित संसद शुरू होने से पहले राष्ट्रपति विन म्यिंट और स्टेट काउंसलर आंग सान सू समेत कई NLD नेताओं को हिरासत में ले लिया।
सेना ने कार्यवाहक राष्ट्रपति म्यिंट स्वे (सेना समर्थित) के जरिए एक साल के लिए राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया था,ज जिसे बाद में बढ़ाया गया। इसके बाद सेना ने सत्ता अपने कमांडर-इन-चीफ, सीनियर जनरल मिन आंग ह्लाइंग को सौंप दी। वे स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव काउंसिल (SAC) और सैन्य जून्टा के रूप में देश चला रहे थे। इसके विरोध में म्यांमार में लोग सड़क पर उतरे और खूब प्रदर्शन हुए। इस दौरान 2,900 से अधिक लोग मारे गए और 18,000 लोग गिरफ्तार हुए।