नई दिल्ली (नेहा): दिल्ली में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के चार महीने बाद एक नया नियम लागू हुआ है, जिसके तहत मुख्यमंत्री, मंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारी अब महंगे मोबाइल फोन खरीद सकते हैं और इसका खर्च सरकार उठाएगी। यह पैसा उन्हें रीइम्बर्समेंट के तौर पर वापस मिलेगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अब 1.5 लाख रुपये तक का मोबाइल फोन खरीद सकते हैं, जिसका पूरा खर्च सरकार देगी। वहीं, मंत्रियों के लिए यह सीमा 1.25 लाख रुपये तय की गई है। यह सुविधा हर दो साल में एक बार ली जा सकती है। अगर किसी का फोन खराब हो जाता है और उसकी मरम्मत का खर्च फोन की कुल कीमत के 50% से ज्यादा आता है, तो नया फोन लेने की भी इजाजत होगी। यह व्यवस्था पहले से चली आ रही थी, लेकिन अब इसमें बड़े बदलाव किए गए हैं। साल 2013 में, मुख्यमंत्री को केवल 50,000 रुपये और मंत्रियों को 45,000 रुपये तक की प्रतिपूर्ति मिलती थी। अब मुख्यमंत्री की सीमा तीन गुना और मंत्रियों की सीमा लगभग 2.8 गुना बढ़ा दी गई है।
यह सुविधा केवल मुख्यमंत्री और मंत्रियों तक ही सीमित नहीं है। अब मुख्य सचिव 1 लाख रुपये तक, प्रमुख सचिव 80,000 रुपये, सचिव 75,000 रुपये और विशेष सचिव 60,000 रुपये तक के मोबाइल फोन खरीद पर रीइम्बर्समेंट पा सकेंगे। मंत्रियों के निजी सचिवों के लिए यह सीमा 50,000 रुपये तय की गई है। बता दें कि 2013 में मुख्य सचिव के लिए यह सीमा 40,000 रुपये थी, लेकिन अब इस सीमा को बढ़ा दिया गया है।
दिल्ली सरकार के इस नए आदेश के अनुसार, अब मुख्यमंत्री और मंत्रियों को निजी सिम कार्ड नहीं दिए जाएंगे और उनके मोबाइल का मासिक बिल सरकार ही भरेगी। मुख्य सचिव के लिए मासिक मोबाइल और इंटरनेट खर्च की अधिकतम सीमा 6,500 रुपये (टैक्स सहित) तय किया गया है। प्रमुख सचिव के लिए यह सीमा 6,000 रुपये, सचिव के लिए 5,500 रुपये और मंत्रियों के निजी सचिवों (Secretaries) के लिए 5,000 रुपये तय की गई है। पहले 2013 में मुख्यमंत्री के मोबाइल खर्च की अधिकतम सीमा 7,000 रुपये प्रति माह थी, जिसे अब हटाकर अनलिमिटेड कर दिया गया है। यह नई सुविधा दिल्ली सरकार के अधिकारियों और मंत्रियों के लिए कितनी फायदेमंद साबित होगी, यह देखना दिलचस्प होगा।