वाशिंगटन (पायल): दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में संघीय सरकार का कामकाज ठप हो गया है। इसे तकनीकी भाषा में ‘गवर्नमेंट शटडाउन’ कहा जाता है। यह संकट इसलिए पैदा हुआ क्योंकि अमेरिकी संसद (कांग्रेस) 1 अक्टूबर से शुरू होने वाले नए वित्तीय वर्ष के लिए सरकार को फंड देने वाला खर्च विधेयक (फंडिंग बिल) पास नहीं कर पाई। दरअसल रिपब्लिकन सांसदों ने एक ऐसा विधेयक पेश किया था जो सरकार को 21 नवंबर तक अल्पकालिक (शॉर्ट-टर्म) फंडिंग दे सकता था ताकि शटडाउन को टाला जा सके लेकिन मंगलवार शाम को हुए महत्वपूर्ण मतदान में यह बिल 55-45 के अंतर से पारित नहीं हो सका।
सत्ताधारी रिपब्लिकन पार्टी को इसे पास कराने के लिए कम से कम 60 वोटों की जरूरत थी। विपक्ष में बैठी डेमोक्रेट पार्टी ने इस बिल का विरोध किया जिसके कारण राष्ट्रपति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में पहली बार सरकारी खजाना खाली हो गया और शटडाउन शुरू हो गया।
शटडाउन का सीधा मतलब है कि संघीय सरकार के पास खर्च करने के लिए पैसा नहीं है। अमेरिका में हर साल 1 अक्टूबर को नया वित्तीय वर्ष शुरू होता है। इससे पहले सरकार को अपना वार्षिक बजट और खर्च की योजना संसद से पास करानी होती है। जब डेमोक्रेट और रिपब्लिकन सांसद किसी कारण से इस खर्च विधेयक पर सहमत नहीं हो पाते और बिल पास नहीं होता तो कानूनन सरकार को गैर-जरूरी (Non-Essential) कामकाज बंद करना पड़ता है। यह कोई नई बात नहीं है। अमेरिकी राजनीति में बजट पर इस तरह का राजनीतिक गतिरोध सामान्य है। पिछले 50 सालों में अमेरिका में 20 बार सरकारी कामकाज फंडिंग की कमी के कारण अटक चुका है।
राष्ट्रपति ट्रंप की सरकार लंबे समय से संघीय सरकार के खर्चों में कटौती करना चाहती है। हालाँकि विपक्षी डेमोक्रेट सांसद पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा शुरू किए गए ‘ओबामा हेल्थ केयर सब्सिडी’ कार्यक्रम को जारी रखने और बढ़ाने पर अड़े हैं। वहीं रिपब्लिकन पार्टी खर्चों में कटौती करने के अपने एजेंडे पर कायम है और इस सब्सिडी को बढ़ाने के लिए तैयार नहीं है। दोनों प्रमुख पार्टियों के अपने-अपने रुख पर अड़े रहने के कारण फंडिंग बिल पर सहमति नहीं बन पाई और बातचीत विफल होने के बाद शटडाउन की स्थिति आ गई।
जानकारों का मानना है कि इस सरकारी बंदी का असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। विशेषज्ञों के अनुसार शटडाउन के चलते देश की आर्थिक विकास दर (GDP) में हर हफ्ते 0.1 से लेकर 0.2 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। पिछला सबसे लंबा शटडाउन साल 2018 में हुआ था जो 35 दिनों तक चला था और उसने अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुँचाया था।